एस. जयशंकर, विदेश मंत्री (फाइल फोटो)
विदेश मंत्री एस जयशंकर अपने चीनी समकक्ष छिन कांग और रूस के सर्गेई लावरोव के साथ बृहस्पतिवार को गोवा के एक ‘बीच रिसॉर्ट’ में शंघाई सहयोग सम्मेलन (SCO) से इतर द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने बताया कि छिन के साथ बातचीत में जयशंकर के एक बार फिर यह उल्लेख करने की उम्मीद है कि भारत-चीन संबंध तब तक सामान्य नहीं हो सकते जब तक कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति कायम नहीं होती.
छिन, लावरोव, उनके पाकिस्तानी समकक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी और एससीओ के अन्य देशों के विदेश मंत्री जुलाई के पहले सप्ताह में समूह के वार्षिक शिखर सम्मेलन से पहले महत्वपूर्ण सम्मेलन में भाग लेने के लिए बृहस्पतिवार को गोवा पहुंच रहे हैं. एससीओ के विदेश मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक बृहस्पतिवार को गोवा के एक आलीशान ‘बीच रिसॉर्ट’ में शुरू होगी, जबकि मुख्य विचार-विमर्श शुक्रवार को होगा.
सूत्रों ने कहा कि जयशंकर एससीओ के लगभग सभी देशों के अपने समकक्षों के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। हालांकि, एससीओ सम्मेलन के इतर जयशंकर और बिलावल के बीच कोई द्विपक्षीय बैठक होगी या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है.
जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री के बीच पिछले दो महीनों में यह दूसरी द्विपक्षीय बैठक होगी। चीनी विदेश मंत्री मार्च में जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए भारत आए थे। बैठक के इतर, जयशंकर ने छिन के साथ वार्ता की थी. इस दौरान उन्होंने अपने चीनी समकक्ष से कहा कि पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से जारी सीमा विवाद के कारण भारत-चीन संबंधों की स्थिति ‘‘असामान्य’’ है. जून 2020 में गलवान घाटी में भीषण झड़प के बाद भारत और चीन के संबंध काफी तनावपूर्ण हो गए.
सूत्रों ने कहा कि जयशंकर और रूसी विदेश मंत्री लावरोव अपनी बैठक में व्यापार और वाणिज्यिक जुड़ाव पर ध्यान देने के साथ समग्र द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करेंगे. एससीओ की स्थापना 2001 में शंघाई में हुई थी. एससीओ में चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. भारत और पाकिस्तान 2017 में एससीओ के स्थायी सदस्य बने थे.
-भाषा इनपुट के साथ