Udhayanidhi Stalin
सनातन धर्म को लेकर विवादित बयान देने वाले डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र और बिहार सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है. कोर्ट ने उदयनिधि स्टालिन को निचली अदालत में पेशी से छूट दे दिया है. कोर्ट 18 नवंबर को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. उदयनिधि स्टालिन की याचिका पर जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई कर रही है.
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने स्टालिन के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा था कि उन्हें अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दाखिल करने के बजाय स्टालिन को सीआरपीसी की धारा 406 के तहत मुकदमा दायर करना चाहिए. जिसके बाद स्टालिन ने सुप्रीम कोर्ट में संशोधित याचिका दायर कर विभिन्न राज्यों में दर्ज मुकदमे को ट्रांसफर करने की मांग की है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन के बेटे ने कोर्ट से गुहार लगाई है कि महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और जम्मू कश्मीर में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को एक साथ जोड़ने की मांग की है.
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने उदयनिधि स्टालिन के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा था, कि आप अनुच्छेद 19(1)(A) का दुरुपयोग कर रहे है. कोर्ट ने कहा था, अपने अनुच्छेद 25 के अधिकार का दुरुपयोग कर रहे है, अब आप अनुच्छेद 32 के अधिकार का प्रयोग कर रहे है? क्या आप नही जानते कि आपने जो कहा उसका क्या परिणाम हो सकता है. कोर्ट की इस बात पर स्टालिन के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि वह उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणियों से बिल्कुल भी सही नही ठहरा रहे हैं.
सिंघवी ने कहा कि स्टालिन के खिलाफ 6 राज्यों में एफआईआर दर्ज है जिसका सामना कर रहे है. जिस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि आप आम आदमी नही है. आप एक मंत्री है. आपको ऐसे बयानों का परिणाम पता होना चाहिए. बता दें कि पिछले साल सितंबर महीने में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों से की थी. डीएमके नेता के इस बयान से न केवल एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया, बल्कि उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ कई आपराधिक शिकायतें भी दर्ज की गई और साथ ही उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई है.
-भारत एक्सप्रेस
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