Bharat Express

क्या राज्य खनिज युक्त भूमि पर कर लगा सकेंगे? ऐतिहासिक फैसले पर उपजे सवाल, जानिए पूरा मामला

राज्य खनिज संपदा पर कर वसूली को लेकर सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की संविधान पीठ के फैसले के बाद उपजे सवाल पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है.

supreme court

सुप्रीम कोर्ट.

नई दिल्ली: राज्य खनिज संपदा पर कर वसूली को लेकर सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की संविधान पीठ के फैसले के बाद उपजे सवाल पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है. मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट से कहा कि केंद्र सरकार को पूर्वव्यापी प्रभाव से कथित बकाया राशि का भुगतान करने के लिए कहा जाता है तो इसका बहुध्रुवीय प्रभाव होगा.

9 सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनाया फैसला

25 जुलाई को सीजेआई की अध्यक्षता वाली 9 सदस्यीय संविधान पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि राज्यों के पास खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने की क्षमता और शक्ति है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले मे खुद के द्वारा दिए गए पहले के आदेश को रद्द कर दिया और खनन और खनिज-उपयोग गतिविधियों पर रॉयल्टी लगाने के राज्यों के अधिकारों को 8-1 से बरकरार रखा.

रॉयल्टी को टैक्स नहीं माना जा सकता- SC

सीजेआई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने बहुमत से यह फैसला सुनाया था कि रॉयल्टी को टैक्स नहीं माना जा सकता और राज्यों के पास खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने की क्षमता और शक्ति है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य को केंद्र को पूर्व में दी गई लेवी की मांग करनी चाहिए और न ही किसी PSU या किसी भी उपक्रम को धन की वापसी की मांग करनी चाहिए, यह इक्विटी को संतुलित करता है.

ये भी पढ़ें: Coaching Center Tragedy: राजेंद्र नगर की घटना पर UPSC शिक्षक अवध ओझा ने तोड़ी चुप्पी, सरकार से की ये बड़ी मांग

अटॉर्नी जनरल ने क्या कहा

अटॉर्नी जनरल आर आर वेंकटरमण ने कहा कि जब खनन क्षेत्र प्रभावित होता है तो पूरी अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है. यह देश की रीढ़ है और इसका प्रभाव कई आयामों पर होगा. सीजेआई ने कहा कि राष्ट्र के औद्योगिक और इससे जुड़े मामलों के अंत के लिए कोई और मुकदमेबाजी नहीं होनी चाहिए और इस प्रकार एक मानक अपनाया जाना चाहिए, पिछले 35 वर्षों के लिए एक अंतरिम निर्णय था, जिसका पालन किया जा रहा था.

-भारत एक्सप्रेस 

Also Read