रतन टाटा के निधन के दो महीने के भीतर ही शापूरजी पल्लोनजी (SP) समूह ने टाटा समूह की अनुमति के बिना उसके शेयरों के नाम पर देश-विदेश से करीब 22 हजार करोड़ रुपये जुटाने की कवायद शुरू कर दी है. टाटा समूह ने इस बारे में उठ रहे सवालों पर स्पष्ट कर दिया है कि टाटा संस के शेयरों को collateral के तौर पर इस्तेमाल किए जाना गलत है. उनके शेयर स्वतंत्र रूप से हस्तांतरणीय नहीं हैं और सभी हस्तांतरण कंपनी के एसोसिएशन के लेखों में निर्धारित प्रावधानों के अधीन हैं.
यह है पूरा मामला
दरअसल विभिन्न मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आ रही थी कि शापूरजी पल्लोनजी (एसपी) समूह करीब 22,000 करोड़ रुपये ($2.6 बिलियन) का फंड जुटाने का अभियान शुरू करने की तैयारी कर रहा है. जिसका लक्ष्य वैकल्पिक परिसंपत्ति प्रबंधक और निजी ऋण प्रदाता हैं.
जानकारों के अनुसार, समूह की योजना है कि इस फंड का उपयोग परिपक्व ऋण को पुनर्वित्त करने और उधार लेने की लागत कम करने के लिए किया जाना है. बताया जाता है कि इससे पहले शापूरजी पल्लोनजी (एसपी) समूह पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) के साथ 10 महीने से समझौते की कोशिश में जुटा था, लेकिन यह बातचीत परवान नहीं चढ़ पाई.
जानकारी के अनुसार, शापूरजी पल्लोनजी (एसपी) समूह की टाटा संस में 18.2% हिस्सेदारी है. उसने निर्णय लिया है कि उसके एकमात्र बुकरनर के रूप में कार्य करने वाला ड्यूश बैंक सिंगापुर और लंदन में रोड शो का नेतृत्व करेगा. जिसके बाद विभिन्न वित्तीय केंद्रों से शापूरजी पल्लोनजी (एसपी) समूह की प्रमोटर इकाई स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट्स (एसआईपीएल) ने एरेस एसएसजी और फरलॉनकैपिटल से 2.6 बिलियन डॉलर हासिल किए थे.
पैसा जुटाने की कवायद
इस साल की शुरुआत में शापूरजी पल्लोनजी (एसपी) समूह की अन्य प्रमोटर इकाई साइरस इन्वेस्टमेंट्स (सीआईपीएल) ने 9.18% टाटा संस की हिस्सेदारी के बदले 14,300 करोड़ रुपये जुटाए थे. इसके अलावा समूह ने नवंबर में एफकॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर के आईपीओ और गोपालपुर पोर्ट में अपनी हिस्सेदारी भी अदानी पोर्ट्स को बेचकर उस रकम से 730 बिलियन रुपये का पुनर्भुगतान किया. समूह के प्रमुख राजस्व चालक एफकॉन्स ने हाल ही में एक सफल आईपीओ के माध्यम से 8300 करोड़ रुपये जुटाए.
गौरतलब है कि पल्लोनजी मिस्त्री द्वारा 1865 में स्थापित शापूरजी पल्लोनजी (एसपी) समूह देश के पुराने औद्योगिक समूहों में से एक है. यह रियल एस्टेट, निर्माण, बुनियादी ढांचा, सौर ऊर्जा, बिजली और तेल और गैस सेवाओं में काम करता है. 2016 में साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद टाटा समूह के साथ तनावपूर्ण संबंधों सहित चुनौतियों के बावजूद, शापूरजी पल्लोनजी (एसपी) समूह ने रणनीतिक परिसंपत्ति बिक्री और सार्वजनिक लिस्टिंग के माध्यम से अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए काम किया है.
लग रहे हैं गंभीर आरोप
आरोप है कि शापूरजी पल्लोनजी (एसपी) समूह ने गलत बुनियाद के आधार पर अमेरिका सहित विभिन्न यूरोपीय देशों से पैसे इकट्ठा कर रहा है. प्रचारित यह भी किया जा रहा है कि रतन टाटा के निधन के बाद टाटा के साथ उनके रिश्ते सामान्य हो गए हैं. आर्थिक जानकारों के अनुसार, शापूरजी पल्लोनजी (एसपी) समूह ने जिस तरह से टाटा समूह के शेयरों के नाम पर पैसा जुटाने की तैयारी कर रहा है, वह सीधे तौर पर धोखाधड़ी और फरेब का मामला है. आरोप है कि समूह अपना कर्ज चुकाने के लिए भारतीयों और विदेश में रह रहे भारतीय निवेशकों से 18-20 हजार करोड़ रुपये जुटाने के लिए पूरा खेल कर रहा है.
शेयर ट्रांसफरेबल नहीं हैं: TATA Group
इस बारे में उठ रहे सवालों के बाद टाटा ट्रस्ट के सीईओ सिद्धार्थ शर्मा ने कड़े शब्दों में स्पष्ट किया है कि टाटा संस का रुख बहुत दृढ़ है और टाटा संस के शेयर ट्रांसफरेबल नहीं हैं. वह गलत बयानी करके पैसे इकट्ठा कर रहे हैं कि डिफॉल्ट की स्थिति में टाटा के शेयर स्वतंत्र रूप से ट्रांसफरेबल हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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