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UP News: सपा विधायक रमाकांत यादव को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ा झटका, जमानत याचिका खारिज, जानें क्या है पूरा मामला

Ramakant Yadav: राज्य सरकार के वकील ने जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि इस कथित घटना में नकली शराब पीने से नौ लोगों की मौत हो गई थी.

फोटो सोशलमीडिया

UP News: नकली शराब मामले में सपा विधायक रमाकांत यादव की जमानत याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है. इसी के साथ ही अदालत ने निचली अदालत को मुकदमे की सुनवाई में तेजी लाने के लिए कहा है और छह महीने के अंदर मामले की सुनवाई पूरी करने के निर्देश दिए हैं. बता दें कि पिछले साल आजमगढ़ में नकली शराब पीने से नौ लोगों की मौत हो गई थी. इसी मामले में कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी है.

गौरतलब है कि नकली शराब पीने के बाद नौ लोगों की मौत पिछले साल उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में हो गई थी. घटना के संबंध में 22 फरवरी 2022 को आजमगढ़ के अहरौला थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. हालांकि प्राथमिकी में तो उस समय रमाकांत यादव का नाम नहीं दर्ज किया गया था लेकिन विवेचना के दौरान उनका नाम सामने आने के बाद पिछले साल ही सितंबर में उनका नाम इस मामले में जोड़ दिया गया था. इसी मामले में रमाकांत यादव जेल में हैं और उन्होंने जमानत के लिए याचिका दाखिल की थी.

इस मामले में जहां रमाकांत यादव ने दलील दी कि वह चार बार सांसद और पांच बार विधायक रहे हैं और उन्हें राजनीतिक दुश्मनी की वजह से इस मामले में फंसाया गया है. वहीं राज्य सरकार के वकील ने दलील दी कि इस मामले की जांच के दौरान, रमाकांत यादव की संलिप्तता सामने आई है और इसके पर्याप्त साक्ष्य भी मौजूद हैं और इसी के आधार पर उनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया है.

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राज्य सरकार के वकील ने जमानत याचिका का विरोध किया और कहा, “इस कथित घटना में नकली शराब पीने से नौ लोगों की मौत हो गई थी और यह शराब लाइसेंसशुदा दुकान से खरीदी गई थी जो सह आरोपी रंगेश कुमार यादव के नाम पर थी, लेकिन इस दुकान पर वास्तविक नियंत्रण रमाकांत यादव का था.”

अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा, “उपरोक्त तथ्यों और संबंधित वकीलों की दलीलों को देखते हुए इस चरण में जमानत देने का कोई मामला नहीं बनता है. इसलिए रमाकांत यादव की जमानत याचिका खारिज की जाती है.”

सूत्रों के मुताबिक न्यायमूर्ति राजबीर सिंह की अदालत ने बुधवार को जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा, “यदि छह महीने के भीतर मुकदमे की सुनवाई में उल्लेखनीय प्रगति नहीं होती है तो याचिकाकर्ता के पास नए सिरे से जमानत के लिए आवेदन करने का विकल्प खुला रहेगा.”

-भारत एक्सप्रेस

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