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सिविल अपील पर सुनवाई टालने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट हुआ नाराज, कहा- देरी के लिए अदालतों को दोषी ठहराया जाता है

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2019 के बाद अब यह मामला सामने आ रहा है और वकील बहस करने के लिए तैयार नहीं हैं. यह क्या है?

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट

साल 2017 में दायर सिविल अपील की सुनवाई टालने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है. अदालत ने कहा कि मामलों के निपटारे में देरी के लिए हमेशा सीधे तौर पर अदालतों को दोषी ठहराया जाता है, हालांकि कभी-कभी वकील और वादी भी ऐसी देरी के लिए जिम्मेदार होते हैं.

क्या आप फाइलें नहीं पढ़ते हैं?

मामले में पेश वकील ने कहा कि बहस करने वाले वकील की तबीयत खराब है, लिहाजा सुनवाई को टाल दिया जाए. इस पर शीर्ष अदालत ने जूनियर वकील से पूछा कि आप उनके लिए बहस क्यों नहीं करते? क्या आप उनके कार्यालय से जुड़े नहीं हैं? क्या आप फाइलें नहीं पढ़ते हैं? वकील ने जवाब दिया कि उन्हें मामले के तथ्यों की जानकारी नहीं है, क्योंकि उन्होंने केस ब्रीफ नहीं पढ़ा है.

युवा वकील उठाएं मौके का लाभ

कोर्ट ने कहा, ‘2019 के बाद अब यह मामला सामने आ रहा है. वकील बहस करने के लिए तैयार नहीं हैं. यह क्या है? कल हम दोपहर 12:30 बजे तक बैठे थे और आज मुझे नहीं लगता कि हम 12 बजे तक बैठ पाएंगे. फिर देरी के लिए अदालतों को दोषी ठहराया जाता है. हम छुट्टी में बैठे हैं, लेकिन यहां कोई बहस करने के लिए नहीं है.’

अदालत ने युवा वकीलों से यह भी आग्रह किया कि वे ऐसे मौकों का लाभ उठाएं, जब उनके वरिष्ठ वकील उपलब्ध न हों, खासकर छुट्टियों में सुनवाई के दौरान जब वरिष्ठ वकील विदेश में छुट्टियां मना रहे हों.

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कोर्ट ने कहा, ‘युवाओं को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए, जब उनके वरिष्ठ वकील विदेश में छुट्टियां मना रहे हों.’ कोर्ट ने मामले की सुनवाई को अगले सप्ताह के लिए टाल दिया है और जूनियर वकील से कहा कि अगर आपके सीनियर की तबीयत ठीक नहीं होती है तो वो आपके बगल में बैठेंगे. आपको बहस करना होगा.



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