अरविंद केजरीवाल.
दिल्ली शराब नीति मामले में तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जेल में होने से अन्य कैदियों की रिहाई में हो रही देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा है कि क्या केजरीवाल के तिहाड़ जेल में रहते हुए कैदियों की रिहाई वाली फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते हैं. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से यह भी पूछा है कि क्या मुख्यमंत्री के ऐसा करने पर रोक लगाने का कोई आदेश है.
जस्टिस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच हरप्रीत सिंह नाम के कैदी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही हैं. हरप्रीत सिंह ने कहा है कि सीएम के हस्ताक्षर नही होने के चलते कई महीनों से उसकी रिहाई नही हो पा रही है. कोर्ट ने एएसजी ऐश्वर्या भाटी और वरिष्ठ वकील अर्चना दवे से पूछा कि क्या मुख्यमंत्री द्वारा रिहाई वाली फाइल पर हस्ताक्षर करने पर रोक है.
जिसपर एएसजी भाटी ने कहा कि इससे पहले इस तरह की स्थिति देखने को नही मिली है, लिहाजा वह इस बारे में निर्देश लेकर कोर्ट को अवगत कराएगी. इसपर जस्टिस ओका ने कहा कि यदि ऐसा नही है तो सुप्रीम कोर्ट को भारतीय अनुच्छेद 142 के तहत मिले अधिकारों का इस्तेमाल करना होगा. क्योंकि इन मामलों को इस तरह अटकाया नही जा सकता है.
कोर्ट 23 सितंबर को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर नहीं करने से माफी वाले फाइलों को आगे की कार्यवाही के लिए उपराज्यपाल के पास नहीं भेजा जा पा रहा है. दिल्ली सरकार के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि केजरीवाल की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट फैसला सुरक्षित रख रखा है.
सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अंतरिम जमानत दी थी. लेकिन सीबीआई के मामले में हिरासत में थे, इसलिए वो जेल से बाहर नहीं आये थे. केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल करने से पहले दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसे खारिज करते हुए कोर्ट ने जमानत के लिए निचली अदालत जाने को कहा था.
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-भारत एक्सप्रेस
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