Delhi News: लाइव सर्जरी ब्रॉडकास्ट पर रोक की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है. मामले की सुनवाई के दौरान नेशनल मेडिकल कमीशन की ओर से पेश वकील ने जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय की कोर्ट से मांग की. यह याचिका डॉक्टर राहिल और दो अन्य की ओर से दायर की गई है.
इस याचिका पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई कर रही है. याचिका में कहा गया है कि सर्जरी के लाइव प्रसारण के साथ मेडिकल लाइव चर्चा आयोजित करने और उसका इंटरनेट के जरिये दुनिया भर में सजीव प्रसारण करना गलत है. इस पर रोक लगनी चाहिए. याचिका में यह भी कहा गया है कि लाइव सर्जरी सहमति से सबंधित नैतिक चिंताओं को जन्म देती है और मरीजों को शायद ही कभी सूचित किया जाता है कि सर्जरी करते समय दर्शकों के साथ बातचीत से सर्जन का ध्यान बंट सकता है, जिससे संभावित रूप से उन्हें खतरा हो सकता है.
पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा था कि यह ऐसा है जैसे विराट कोहली क्रिकेट खेल रहे हों और लाइव कमेंट्री भी कर रहे हों. एम्स में भी एक व्यक्ति की मौत टेबल पर ही हो गई. कुछ लोग सहमत हो गए, क्योंकि उन्हें बताया गया कि विदेशी सर्जन ऑपरेशन करेंगे, लेकिन लाइव ब्रॉडकास्टिंग के साथ. उन्होंने कहा था कि सर्जन का ध्यान उन लोगों पर केंद्रित होगा नो ऑपरेशन थियेटरों के बाहर है.
कुछ मामलों में मरीजों को प्रक्रिया को समझे बिना सर्जिकल शुल्क में छूट की पेशकश की जाती है. वकील गोपाल शंकर नारायण ने सर्जरी के लाइव प्रदर्शन के संबंध में कई चिंताएं जताई थी. शंकरनारायणन ने कहा था कि ये सर्जरी चिकित्सा सम्मेलन में 800 लोगों के सामने आयोजित की गई. जो प्रक्रिया के दौरान सर्जन से प्रश्न पूछकर सक्रिय रूप से भाग लेते हैं.
— भारत एक्सप्रेस
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