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नाबालिग ने की थी 7 महीने के गर्भ को गिराने की मांग, CJI चंद्रचूड़ ने सुनाया ये बड़ा फैसला

Supreme Court on Pregnancy: नाबालिग की मां ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इसमें बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई थी.

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट

Supreme Court on Pregnancy: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (22 अप्रैल) को 14 वर्षीय कथित बलात्कार पीड़ित को उसकी लगभग 30 सप्ताह की गर्भावस्था को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने की अनुमति दे दी. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने नाबालिग की गर्भावस्था को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने की याचिका को खारिज करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया है.

अदालत ने चिकित्सीय रूप से गर्भावस्था खत्म करने के लिए मुंबई के सायन अस्पताल को बोर्ड का गठन करने का आदेश दिया है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने आदेश में कहा कि मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रेगनेंसी से जान को खतरा हो सकता है. इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए अदालत हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करती है.

सायन अस्पताल के मेडिकल बोर्ड ने राय दी है कि गर्भावस्था हटाने (MTP) की अनुमति दी जानी चाहिए. तात्कालिकता को देखते हुए निर्णय सुरक्षित रखते समय हम अंतरिम निर्देश जारी करते हैं, हमने एमटीपी (Medical Termination of Pregnancy) अधिनियम को विधिवत ध्यान में रखा है. यह अदालत अनुच्छेद 142 के तहत कार्रवाई करती है. ऐसे ही एक मामले में इस अदालत ने धारा 142 का इस्तेमाल किया था.

जिन परिस्थितियों ने हमें प्रभावित किया वे हैं:

14 साल की नाबालिग के लिए MTP की मांग की गई थी. कथित बलात्कार के बाद नाबालिग गर्भवती हो गई थी और एफआईआर दर्ज की गई थी. नाबालिग को खुद पता नहीं था कि वह गर्भवती थी, सायन में मेडिकल बोर्ड की ओर से यह राय दी गई है कि नाबालिग की इच्छा के खिलाफ गर्भावस्था जारी रखने से नाबालिग की शारीरिक और मानसिक भलाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जबकि कुछ जोखिम भी शामिल है, मेडिकल बोर्ड ने राय दी कि जीवन के लिए खतरा पूर्ण अवधि के प्रसव के जोखिम से अधिक नहीं है.

नाबालिग के कल्याण को ध्यान में रखते हुए हम निम्नलिखित आदेश पारित करते हैं-

1. हमने बॉम्बे HC के आदेश को रद्द कर दिया
2. लोकमान्य तिलक नगरपालिका सामान्य अस्पताल के डीन उस नाबालिग की गर्भावस्था की चिकित्सीय समाप्ति करने के लिए एक टीम का गठन करेंगे जिसके संबंध में चिकित्सा रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी.
3. परिवहन की समान व्यवस्था उपलब्ध कराई जाएगी.
4. प्रक्रिया का सारा खर्च राज्य वहन करेगा.
5. समाप्ति के बाद यदि किसी चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता हो तो इसे नाबालिग के हित में सुनिश्चित किया जा सकता है.

यह याचिका नाबालिग की मां ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इस याचिका में बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें गर्भावस्था को काफी समय हो जाने के कारण गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था.

पिछली सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र के सियान अस्पताल को निर्देश दिया था कि वह 20 अप्रैल को लड़की का मेडिकल एग्जामिनेशन करे और कोर्ट को बताए कि लड़की का अगर गर्भपात कराया जाता है तो शारीरिक और मानसिक तौर पर उसपर क्या प्रभाव पड़ेगा.

बता दें कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी अधिनियम के तहत गर्भावस्था को समाप्त करने की ऊपरी सीमा विवाहित महिलाओं के साथ-साथ विशेष श्रेणियों की महिलाओं के लिए 24 सप्ताह रखी गई है. इनमें बलात्कार पीड़िताओं और कुछ अन्य महिलाओं जैसे कि विकलांग और नाबालिग को शामिल किया गया है.

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