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“माफीनामे की असली कॉपी कोर्ट में जमा क्यों नहीं की?” पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में SC ने फिर जताई नाराजगी

पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को अगली तारीख में पेशी से छूट देते हुए यह साफ किया कि यह छूट सिर्फ अगली पेशी तक के लिए ही है.

Patanjali Advertisement Case

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पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को अगली तारीख में पेशी से छूट देते हुए यह साफ किया कि यह छूट सिर्फ अगली पेशी तक के लिए ही है. साथ ही कोर्ट में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण द्वारा समाचार पत्रों में प्रकाशित कराए गए माफीनामे की असली कॉपी कोर्ट में जमा नही करने पर कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को आड़े हाथों लिया.

मामले की सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव की ओर से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि हमने जो माफीनामा पेपर में दिया था उसे रजिस्ट्री में हमने जमा कर दिया था. कोर्ट ने पूछा कि आपने ओरिजनल रिकॉर्ड क्यों नही दिए? आपने ई फाइलिंग क्यों की? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बहुत ज्यादा कम्युनिकेशन की कमी है, हम अपने हाथ खड़े कर रहे हैं. आपके वकील बहुत ज्यादा स्मार्ट हैं. ऐसा जान-बूझकर कर किया गया है. रामदेव के वकील ने कोर्ट से कहा कि हो सकता है, मेरी अज्ञानता की वजह से ऐसा हुआ हो. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछली बार जो माफीनामा छापा गया था वो छोटा था और उसमें पतंजलि केवल लिखा था. लेकिन दूसरा बड़ा है, उसके लिए हम प्रशंसा करते हैं कि उनको बात समझ मे आई.

जानें क्या था पूरा मामला?

सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव से कहा कि आप केवल न्यूज पेपर और उस तारीख का माफीनामा जमा करें. कोर्ट 14 मई को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. वहीं मामले की सुनवाई के दौरान मुकुल रोहतगी ने कहा कि आईएमए के अध्यक्ष ने इंटरव्यू दिया है जिसमें पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर भी सवाल उठाया है. कोर्ट ने कहा कि IMA के अध्यक्ष का बयान रिकॉर्ड पर लाया जाए. यह बेहद गंभीर मामला है. इसका परिणाम भुगतने के लिए तैयार हो जायें. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य लाइसेंसिंग ऑथोरिटी को फटकार लगाते हुए पूछा कि पिछले नौ महीने से आप क्या कर रहे थे.

अभी भी भ्रामक विज्ञापन दे रहा था पतंजलि?

कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की कोई भी बात मौखिक रूप से नही सुनी जाएगी. जो भी कहना है हलफनामे के जरिये कहिए. कोर्ट ने राज्य प्राधिकरण के रवैये को शर्मनाक बताया है. कोर्ट ने राज्य प्राधिकरण के वकील से कहा कि अब माफी मांगने से कोई फायदा नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य लाइसेंसिंग अथॉरिटी के अधिकारी से कहा कि आप रिपोर्ट की कॉपी दिखाइये. आप कह रहे हैं कि दिव्य फॉर्मेसी के साइट पर गए थे, जिसके लिए केंद्रीय मंत्रालय और पीएमओ तक से कहा गया था. इससे संबंधित हलफनामा दाखिल करने को कहा है. वहीं राज्य लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य फार्मेसी कंपनी के 14 उत्पादों पर बैन लगा दिया है. इनमें खांसी की दवा से लेकर कई तरह की गोलियां भी शामिल हैं.

उत्तराखंड सरकार के लाइसेंसिंग प्राधिकरण की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य फार्मेसी की ओर से उत्पादों के बारे में भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए कंपनी के लाइसेंस को निलंबित कर दिया गया है. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई का दायरा बड़ा कर दिया था. कोर्ट ने कहा कि मामला सिर्फ एक संस्था (पतंजलि) तक सीमित नहीं रहेगा. बाकी कम्पनियां जो भ्रामक विज्ञापन देती हैं उनकी भी जांच होगी.

किस वजह से कार्रवाई की गई?

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि भ्रामक विज्ञापन के ज़रिए उत्पाद बेच कर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाली बाकी कंपनियों के खिलाफ उसने क्या कार्रवाई की. कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से पूछा था कि एलोपैथी डॉक्टर खास ब्रांड की महंगी दवाइयां अपने पर्चे में क्यों लिखते हैं. कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि भ्रामक विज्ञापन के ज़रिए उत्पाद बेच कर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाली बाकी कंपनियों के खिलाफ उसने क्या कार्रवाई की है. कोर्ट ने यह भी पूछा था कि कि एलोपैथी डॉक्टर खास ब्रांड की महंगी दवाइयां अपने पर्चे में क्यों लिखते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल मेडिकल कमीशन से पूछा था कि क्या जान-बूझकर महंगी दवा लिखने वाले डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का प्रावधान है. सुप्रीम कोर्ट ने हर राज्य की दवा लाइसेंसिंग अथॉरिटी को भी मामले में पक्ष बनाया था.

-भारत एक्सप्रेस

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