Bharat Express

आयुष्मान भारत योजना में आयुर्वेद, योग और नैचुरोपैथी को शामिल करने की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

एक याचिका में कहा गया है कि स्वास्थ्य व कल्याण केंद्र और पीएम-जेएवाई के तहत प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य सेवाएं अधूरी है. आयुष्मान भारत योजना में कुछ और भी जोड़ना चाहिए.

Ayushman Yojana

Ayushman Yojana

Ayushman Bharat Yojana: आयुष्मान भारत योजना में आयुर्वेद, योग और नैचुरोपैथी को शामिल करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

कोर्ट तीन हफ्ते बाद याचिका पर करेगा सुनवाई. सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कोर्ट का सहायता करने को कहा है. यह याचिका बीजेपी नेता और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दायर की गई है.

याचिका के अनुसार प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना यानी आयुष्मान भारत मुख्य रूप से एलोपैथिक अस्पतालों और औषधालयों तक ही सीमित है. जबकि भारत आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, सिद्ध, यूनानी, होम्योपैथी सहित विभिन्न स्वदेशी चिकित्सा प्रणालियों के दावा करता है. यह चिकित्सा प्रणालियां भारत की समृद्ध परंपराओं में निहित है. वर्तमान समय में स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं को संभालने के लिए यह अत्यधिक प्रभावी है.

याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की माने तो विदेशी शासकों और औपनिवेशिक मानसिकता वाले व्यक्तियों द्वारा बनाई गई विभिन्न नीतियों के कारण हमारी सांस्कृतिक, बैद्धिक और वैज्ञानिक विरासत व्यवस्थित रूप से नष्ट हो गई है. आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत 2018 में हुई थी. इस योजना के तहत आर्थिक रूप से पिछड़े और गरीबी रेखा से नीचे के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है.

याचिका में कहा गया था कि आयुष्मान भारत योजना को दो हिस्से में बांटा गया है. पहला हिस्सा प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और दूसरा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर है. प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत एक परिवार को पांच लाख रुपये की स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकती है. इसके लक्ष्य देश भर में 12 करोड़ से अधिक गरीब और कमजोर परिवारों को लाभान्वित करना है, जिसमें मध्यम और निचला वर्ग की देखभाल दोनों शामिल हैं.

याचिका में कहा गया है कि स्वास्थ्य व कल्याण केंद्र और पीएम-जेएवाई के तहत प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य सेवाएं अधूरी है. संविधान में निहित मौलिक अधिकारों के अनुरूप नहीं है.

– भारत एक्‍सप्रेस

Also Read