दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 4 दिसंबर को सुनवाई करेगा. केजरीवाल ने अपनी याचिका में 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान दिए गए भड़काऊ भाषण के मामले को रद्द करने से इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा इनकार किए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. जस्टिस अभय ओका और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह के बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है. केजरीवाल पर आरोप है कि साल 2014 में सुल्तानपुर में प्रचार के दौरान उन्होंने भड़काऊ भाषण दिया था.
विवादित बयान को लेकर दर्ज कराया गया था केस
बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सुल्तानपुर सत्र न्यायालय के आदेश के खिलाफ खुद को आरोप मुक्त किए जाने को लेकर लखनऊ हाई कोर्ट में अर्जी डाली थी. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था. जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. केजरीवाल के खिलाफ कथित तौर पर इस विवादित बयान को लेकर केस दर्ज किया गया था. उनके खिलाफ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 के तहत चुनाव आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई थी.
धर्म के आधार पर वोट की अपील
केजरीवाल ने कथित तौर पर कहा था कि जो लोग खुदा में विश्वास रखते हैं, अगर वे बीजेपी को वोट देते हैं तो खुदा उन्हें माफ नहीं करेगा. इससे पहले सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि यह कानून की स्थापित स्थिति है कि धर्म के आधार पर वोट की अपील नहीं की जा सकती है. इस पर केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया था कि उन्होंने केवल खुदा शब्द का इस्तेमाल किया था. इस पर कोर्ट ने कहा था कि क्या आप कह रहे है कि भगवान किसी विशेष धर्म से संबंधित नहीं हो सकते? इस पर सिंघवी ने कहा था कि खुदा को केवल मुसलमानों के भगवान के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए.
उन्होंने कहा था कि खुदा का इस्तेमाल किसी खास धर्म के लिए नहीं बल्कि भगवान के लिए किया जाता है. यह मुसलमानों के लिए अपील नहीं थी. कोर्ट ने यह भी कहा था कि मुख्यमंत्री पद पर आसीन व्यक्ति को ऐसा बयान क्यों देना चाहिए. हम हैरान है. धर्मनिरपेक्ष देश में ऐसा कहा जा रहा है. सबसे पहले तो भगवान को किसी की सुरक्षा की जरूरत नहीं है. इस पर केजरीवाल के वकील ने कहा था कि केजरीवाल तब किसी पद पर नहीं थे.
-भारत एक्सप्रेस