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Supreme Court Decision: मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति अब सीधे केंद्र सरकार नहीं करेगी, बल्कि इसमें अब सीबीआई की तर्ज पर इनकी नियुक्ति होगी. एक कमेटी बनाए जाएगी, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता विपक्ष और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया शामिल होंगे. उच्च न्यायालय की तरफ से यह भी कहा गया कि अगर लोकसभा में नेता विपक्ष का पद खाली है तो सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता इस कमेटी के सदस्य होंगे.
राष्ट्रपति इस कमेटी की तरफ से चुने गए व्यक्ति को पद पर नियुक्त करेंगे. कोर्ट ने आगे कहा कि जब तक इस बारे में संसद से कानून पारित नहीं हो जाता, तब तक यही व्यवस्था लागू रहेगी.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यह फैसला उन याचिकाओं पर दिया है, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसे सिस्टम बनाने की मांग की गई थी. इस फैसले को जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस हृषिकेश रॉय वाली पीठ ने सुनाया है. बता दें कि पिछले साल नवंबर 2022 में कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
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इन याचिकाओं में कोर्ट से मांग की गई थी कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की व्यवस्था पारदर्शी होनी चाहिए, जिससे लोकतंत्र और मजबूत होगा. साथ ही चुनाव आयोग को स्वायत्तता मिलनी चाहिए और मुख्य चुनाव आयुक्त को पद से हटाने के लिए जो प्रक्रिया है, वही चुनाव आयुक्तों पर भी लागू होनी चाहिए. ये याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय, अनूप बरनवाल, जया ठाकुर और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने दायर की थी.
इस मामले में जस्टिस के एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा है कि “लोकतंत्र में लोगों का भरोसा बना रहना जरूरी है. ऐसा तभी हो सकता है, जब चुनाव आयोग का कामकाज उन्हें विश्वसनीय लगे”. कोर्ट ने आगे कहा कि “मुख्य चुनाव आयुक्त के पद पर एक ऐसा व्यक्ति बैठा होना चाहिए जो अगर जरूरत पड़े, तो प्रधानमंत्री के ऊपर कार्रवाई करने में भी संकोच न करे.” न्यायालय ने मामले की सुनवाई के दौरान भी सरकार की तरफ से चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को गलत बताया था.
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