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Surya Tilak: देश के इन मंदिरों के देवी-देवताओं का पहले से ही सूर्य देव कर रहे हैं अभिषेक, आज से अयोध्या राम मंदिर का भी जुड़ा नाम

सूर्य तिलक मैकेनिज्म का इस्तेमाल भारत में पहले से ही किया जाता है. देश में कुछ सूर्य और जैन मंदिर हैं जहां पर भगवान की मूर्तियों का सूर्य तिलक होता है. इन मंदिरों की वास्तुकला अद्भुत है.

Surya Tilak

राम लला और कोबा जैन तीर्थ का सूर्य तिलक

Surya Tilak: रामनवमी के मौके पर यानी 17 अप्रैल 2024 को अयोध्या के राम मंदिर में रामलला के सूर्य तिलक का देश से लेकर विदेश तक में लाइव प्रसारण देखा गया. इस अद्भुत नजारे का वीडियो भी सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रहा है. इस दृश्य को देखकर लोग अभिभूत हैं. तो वहीं पूरा वातावरण राममय नजर आ रहा है. आज दोपहर 12 बजे 3 मिनट तक सूर्य देव ने अपनी किरणों से रामलला का अभिषेक किया. क्या आप जानते हैं कि भारत में और भी कई मंदिर हैं जहां पर पहले से ही देवी-देवताओं का सूर्य देव तिलक करते आ रहे हैं. फिलहाल इस कड़ी में अब अयोध्या के राम मंदिर का भी नाम जुड़ गया है. मालूम हो कि इसी साल 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन हुआ था और 500 साल के संघर्ष के बाद रामलला की जन्मभूमि पर उनका मंदिर बना और गर्भगृह में उनको विराजमान किया गया था.

बालाजी सूर्य मंदिर, दतिया

इतिहासकार बताते हैं कि सूर्य तिलक मैकेनिज्म का इस्तेमाल भारत में पहले से ही किया गया है. हालांकि अयोध्या राम मंदिर की इंजीनियरिंग बिल्कुल अलग है. देश में कुछ सूर्य और जैन मंदिर हैं जहां पर भगवान की मूर्तियों का सूर्य तिलक होता है. हालांकि, उनमें अलग तरह की इंजीनियरिंग का इस्तेमाल किया गया है. मध्य प्रदेश के दतिया में स्थित उनाव बालाजी सूर्य मंदिर है जो कि दतिया से 17 किमी दूर स्थित काफी पुराना मंदिर है. यह मंदिर पहाड़ियों में स्थित है और इस सूर्य मंदिर पर सूर्योदय की पहली किरण सीधे मंदिर के गर्भागृह में स्थित मूर्ति पर पड़ती है. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि ये सूर्य मंदिर प्री-हिस्टोरिक समय का है.

Surya mandir Konark

सूर्य मंदिर, कोणार्क

ओडिशा में स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर में होने वाले सूर्य तिलक की तस्वीरें अक्सर ही सोशल मीडिया पर वायरल होती रहती हैं. यह मंदिर अपनी अनोखी वास्तुकला के लिए न केवल भारत बल्कि दुनियाभर में जाना जाता है. इस मंदिर को पूर्वी भारत की वास्तुकला का चमत्कार माना जाता है और भारत की विरासत का प्रतीक माना जाता है. इतिहासकार बताते हैं कि गंगा राजवंश के महान शासक राजा नरसिम्हदेव प्रथम ने 13वीं शताब्दी के मध्य में इस मंदिर का निर्माण कराया था. कोणार्क में स्थित यह सूर्य देव का एक विशाल मंदिर है. इसकी वास्तुकला इस प्रकार है कि सूर्य की पहली किरण मंदिर के मुख्य द्वार पर पड़ती है और फिर सूर्य की किरणें इस तरह से मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश करती हैं कि पूरा गर्भगृह सूर्य की रोशनी से भर जाता है.

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गवी गंगाधरेश्वर मंदिर, बंगलूरू

बंगलूरू के गवी गंगाधरेश्वर मंदिर, जिसे गवीपुरम गुफा मंदिर के रूप में भी जाना जाना जाता है, में भी सूर्य तिलक होता है. यह मंदिर भगवान शिव का मंदिर है और इसकी वास्तुकला बहुत ही अद्भुत है. यहां साल भर लाखों भक्तों के आने का तांता लगा रहता है. इस गुफा की खासव विशेषता ये है कि मंदिर का आंतरिक गर्भगृह विशेष चट्टान में उकेरा गया है. यही वजह है कि साल में एक बार मंदिर पर सूर्य की किरणें सीधी पहुंचती हैं. पहले सूर्य की किरणें नंदी की प्रतिमा पर पड़ती हैं इसके बाद शिवलिंग के चरणों को स्पर्श करती हैं. इसके बाद पूरे शिवलिंग का तिलक होता है. जिस दिन ऐसा होता है उस दिन मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है.

रणकपुर मंदिर, राजस्थान

उदयपुर शहर से करीब 90 किलोमीटर दूर राजस्थान का रणकपुर मंदिर मघई नदी के तट पर स्थित है. यह पाली जिले में है. यह अरावली पहाड़ियों के जंगलों में स्थित है. रणकपुर मंदिर जैन समाज का एक महत्वपूर्ण मंदिर माना गया है. इसे 15वीं शताब्दी का मंदिर माना जाता है. मंदिर की वास्तुकला को कुछ इस तरह बनाया गया है कि दिन के समय सूर्य की किरणें सूर्य भगवान की मूर्ति पर कुछ इस तरह से पड़ती हैं कि पूरे मंदिर को रोशन करती हैं.

महालक्ष्मी मंदिर

महाराष्ट्र के कोल्हापुर में महालक्ष्मी मंदिर भी सूर्य तिलक के लिए जाना जाता है. सातवीं सदी चालुक्य वंश के शासक कर्णदेव ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. सूर्य की किरणें सीधे देवी की मूर्ति पर पड़ती हैं जो कि बहुत ही अद्भुत होती हैं. साल में दो बार इस तरह की घटना होती है. इतिहासकार बताते हैं कि 31 जनवरी और 9 नवंबर को माता के चरणों पर तो वहीं 1 फरवरी और 10 नवंबर को सूर्य की किरने मध्य भाग पर पड़ती है. 2 फरवरी और 11 नवंबर को सूर्य की किरणें पूरी तरह से मूर्ति को रोशनी से ओत-प्रोत कर देती हैं.

Surya Tilak-

सूर्य मंदिर मोढेरा, गुजरात

इस मंदिर का नाम ही सूर्य मंदिर है. गुजरात के मेहसाणा से करीब 25 किमी दूर मोढेरा गांव हैं, जहां पर में सूर्य मंदिर स्थित है. यह मंदिर आज भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित स्मारक है. इस मंदिर को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि मंदिर का निर्माण 1026-27 ईस्वी में चौलुक्य वंश के भीम प्रथम के शासनकाल के दौरान हुआ था. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मंदिर को इस तरह से बनाया गया था कि 21 मार्च और 21 सितंबर को सूर्य की किरणें सीधे मंदिर के अंदर जाती हैं और सूर्य की मूर्ति पर इस तरह पड़ती हैं मानों वो अभिषेक कर रही हों.

जैन मंदिर, गुजरात

गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में कोबा जैन तीर्थ स्थित है. यहां भी सूर्य तिलक होता है. इस मंदिर का नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है. यहां हर साल 22 मई को सूर्य की किरणें श्री महावीर स्वामी भगवान के मस्तक पर इस तरह पड़ती हैं मानों उनका तिलक कर रही हों. इस नजारे को देखने के लिए जैन समुदाय के लाखों लोग पहुंचते हैं. इस मंदिर में 3 मिनट तक सूर्य देव का अभिषेक होता है. बताया जाता है कि अहमदाबाद में इस मंदिर इस तरह बनाया गया है, जहां जैन धर्म और विज्ञान का संगम होता है. कोबा जैन आराधना केंद्र के ट्रस्टी के एक बयान के मुताबिक, ‘1987 से हर साल सूर्य तिलक 22 मई को दोपहर 2.07 बजे होता है. आज तक इस समय सूर्य की किरणों पर बादलों ने बाधा नहीं डाली है. इसे क्या कहा जाए, कोई जादू? वह बताते हैं कि इस मंदिर में गणित, खगोल विज्ञान और मूर्तिकला के पारंपरिक ज्ञान के सही उपयोग के साथ मंदिर के कुशलतापूर्वक निर्माण के कारण ऐसा सूर्य तिलक संभव हुआ है. वह कहते हैं कि कोबा प्राचीन जैन ग्रंथों पर एक विशाल संग्रह रखने के लिए जाना जाता है.

-भारत एक्सप्रेस

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