Bharat Express

स्वाति मालीवाल मारपीट मामले में दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जवाब, जमानत याचिका का किया विरोध

Swati Maliwal Assault Case: आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद और दिल्ली के पूर्व महिला आयोग के अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट के आरोप में गिरफ्तार विभव कुमार की ओर दायर जमानत याचिका का दिल्ली पुलिस ने विरोध किया है.

Vibhaw-And-Swati-maliwal

विभव कुमार और स्वाति मालीवाल

Swati Maliwal Assault Case: आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद और दिल्ली के पूर्व महिला आयोग के अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट के आरोप में गिरफ्तार विभव कुमार की ओर दायर जमानत याचिका का दिल्ली पुलिस ने विरोध किया है. दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर कहा है कि बिभव कुमार दिल्ली पुलिस के सवालों का जवाब नहीं दे रहे हैं. उन्होंने जांच में सहयोग नहीं किया है. दिल्ली पुलिस ने कहा है कि अगर बिभव कुमार को जमानत दी गई तो वो सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं और जांच को प्रभावित कर सकते हैं. इसलिए उनकी नियमित जमानत याचिका को खारिज किया जाए.

कैद में रहना जमानत का आधार नहीं: दिल्ली पुलिस

दिल्ली पुलिस ने यह भी कहा है कि लंबे समय तक कैद में रहना उनकी जमानत का आधार नहीं हो सकता है. दिल्ली पुलिस ने अपने हलफनामे में कहा है कि बिभव कुमार ने अपना मोबाइल फोन फॉर्मेट कर दिया, जिसमें घटना के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी हो सकती है. इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने कहा है कि इस घटना ने सांसद स्वाति मालीवाल की मानसिक स्थिति पर काफी असर डाला है. जिसके कारण उन्हें चार दिनों तक अपने घर में ही कैद रहना पड़ा था ऐसे में उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती है. कोर्ट 27 अगस्त की बिभव कुमार की ओर से दायर जमानत पर सुनवाई करेगा. जस्टिस सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय पीठ बिभव कुमार की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही है.

‘ऐसे बर्ताव पर शर्म आती है…’: कोर्ट

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि ऐसे बर्ताव पर शर्म आती है कि महिला के साथ जबरदस्ती की गई. कोर्ट ने बिभव कुमार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि क्या मुख्यमंत्री आवास गुंडे रखने के लिए है. बिभव कुमार गुंडे की तरह काम किया और मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास में घुसा. उसने तब भी महिला पर हमला किया, जबकि उसने अपनी शारीरिक स्थिति बता दी थी. कोर्ट ने पूछा था कि एक महिला पर हमला करते हुए क्या उसे शर्म नही आई? कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि हम अमूमन जमानत पर रिहाई का आदेश दे देते है. यहां तक कि हत्यारों तक को जमानत दे देते है. लेकिन यहां मामला नैतिकता का है, जिसमें एक महिला सांसद पर हाथ उठाया गया है.

कोर्ट ने चार्जशीट को लेकर सिंघवी से किया सवाल

कोर्ट ने यह भी कहा था कि सवाल यह है कि यह कैसे हुआ, मालीवाल ने उसे रुकने के लिए कहा, लेकिन वह आदमी नही रुका, वह क्या सोचता है? क्या उसके सिर पर शक्ति सवार है? आप पूर्व सचिव थे, अगर पीड़िता को वहां रहने का अधिकार नहीं था, तो आपको भी वहां रहने का अधिकार नहीं था. वहीं, बिभव कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि मामले में एफआईआर तीन दिन बाद दर्ज हुई है. पहले एफआईआर दर्ज कराए बिना ही लौट गई थी. कोर्ट ने चार्जशीट को लेकर जब सिंघवी से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि चार्जशीट दाखिल होने से पहले ही याचिका दाखिल की गई है.

-भारत एक्सप्रेस



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read