

नई दिल्ली: सैयद नासिर हुसैन, जो आज राज्यसभा सदस्य और कांग्रेस पार्टी के जम्मू-कश्मीर प्रभारी महासचिव हैं, का राजनीतिक सफ़र संघर्ष और दृढ़ संकल्प की एक ऐसी मिसाल है, जो हर किसी को प्रेरित करती है. उनकी यह यात्रा छात्र आंदोलन की उस आग से शुरू हुई, जो 31 मार्च 1997 को दिल्ली के बिहार भवन के बाहर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) के पूर्व अध्यक्ष चंद्रशेखर प्रसाद की हत्या के बाद भड़की थी. इस हत्या के विरोध में बिहार की तत्कालीन लालू प्रसाद यादव सरकार के ख़िलाफ़ ज़बरदस्त प्रदर्शन हुए, और इन प्रदर्शनों की अगुवाई करने वालों में एक युवा छात्र नेता भी थे—सैयद नासिर हुसैन.
उसी वर्ष, हुसैन ने स्टूडेंट्स फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया (एसएफ़आई) में शामिल होकर अपने राजनीतिक सफ़र की शुरुआत की और जेएनयू छात्र संघ में संयुक्त सचिव, उपाध्यक्ष और अंततः 1999 से 2000 तक अध्यक्ष का पद संभाला. कर्नाटक के बल्लारी ज़िले से ताल्लुक रखने वाले हुसैन ने जेएनयू में छात्र मुद्दों पर कई आंदोलनों का नेतृत्व किया और राजनीतिक विश्लेषकों का ध्यान अपनी ओर खींचा.
युवाओं के जुटाने वाले नेता
जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष पद से हटने के बाद, हुसैन ने भारतीय युवा कांग्रेस (इंडियन यूथ कांग्रेस) में शामिल होकर एक नया अध्याय शुरू किया. उन्होंने एक बड़े सदस्यता अभियान के जरिए युवा कांग्रेस को देश के सबसे बड़े युवा संगठन में बदल दिया. उनके नेतृत्व में युवा कांग्रेस ने एक दिन में सबसे अधिक रक्तदान करने का रिकॉर्ड बनाया, जिसे लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया.
हुसैन की युवाओं को जुटाने और प्रेरित करने की क्षमता अद्वितीय थी. उन्होंने न केवल कांग्रेस को एक मज़बूत युवा ब्रिगेड दी, बल्कि एक गतिशील और दूरदर्शी नेता के रूप में अपनी पहचान भी बनाई. युवा कांग्रेस में उनका योगदान उनके राष्ट्रीय स्तर पर उभरने की नींव बना.
संसद में एक बुलंद आवाज़
जब सैयद नासिर हुसैन संसद पहुंचे, तो उन्होंने वही जोश और निडरता दिखाई, जो उनके शुरुआती वर्षों की पहचान थी. संसद सदस्य के रूप में, उन्होंने सदन में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) जैसे विवादास्पद मुद्दों को उठाने वाले पहले व्यक्ति बने. किसान क़ानूनों के ख़िलाफ़ उनकी सख़्त आवाज़ ने उन्हें संसद में विरोध प्रदर्शन का चेहरा बना दिया, और इस दौरान उन्हें सदन की कार्यवाही से निलंबित भी किया गया.
हुसैन का संघर्ष संसद की दीवारों से बाहर तक फैला. उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में जाकर लोगों को सीएए, एनआरसी और किसान क़ानूनों के प्रभावों के बारे में जागरूक किया. श्रम संहिता के ख़िलाफ़ उनके प्रयास और वक़्फ़ मुद्दे पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में उनकी मुखर आवाज़ ने उन्हें एक निडर सांसद के रूप में स्थापित किया.
कांग्रेस पार्टी के विश्वसनीय रणनीतिकार
कांग्रेस पार्टी में हुसैन का उदय अद्भुत रहा है. संसद में कांग्रेस पार्टी के व्हिप के रूप में, उन्होंने विपक्षी रणनीतियों को समन्वित करने में अहम भूमिका निभाई, ख़ासकर इंडिया गठबंधन के गठन के दौरान. एआईसीसी प्रवक्ता के रूप में उनकी नियुक्ति ने उन्हें टेलीविज़न पर एक परिचित चेहरा बना दिया है, जहां वे कई भाषाओं में पार्टी की स्थिति को स्पष्ट और प्रभावी ढंग से रखते हैं.
कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति के उपाध्यक्ष के रूप में उनका कार्यकाल उनके संगठनात्मक कौशल और राज्य स्तर पर नेतृत्व करने की क्षमता को दर्शाता है. आज, हुसैन को पार्टी के सबसे विश्वसनीय और प्रभावशाली नेताओं में से एक माना जाता है, और उनके योगदान को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी जैसे वरिष्ठ नेताओं द्वारा सराहा जाता है.
एक उभरता हुआ राजनीतिक स्तंभ
कांग्रेस के अंदरूनी सूत्र हुसैन को एक “उभरता हुआ स्तंभ” और पार्टी के निर्णय प्रक्रिया में एक प्रमुख व्यक्तित्व मानते हैं. खड़गे के साथ उनके क़रीबी संबंध और उनकी बौद्धिक क्षमता ने उन्हें पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का विश्वास हासिल कराया है. दक्षिण भारत के “बौद्धिक मुस्लिम चेहरे” के रूप में पहचाने जाने वाले हुसैन अक्सर पार्टी नेताओं और ज़मीनी स्तर के कार्यकर्ताओं के बीच सेतु का काम करते हैं.
खड़गे के कार्यालय में उनकी भूमिका और संसदीय मामलों में उनकी सक्रिय भागीदारी उनके बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है. जैसे-जैसे कांग्रेस पार्टी भारतीय राजनीति की जटिलताओं को नेविगेट करती है, सैयद नासीर हुसैन एक ऐसे नेता के रूप में उभरते हैं, जो जनता के हितों के प्रति समर्पित हैं.
नेतृत्व की एक अमिट विरासत
सैयद नासिर हुसैन की यात्रा – जेएनयू के छात्र नेता से लेकर राष्ट्रीय राजनीतिक व्यक्तित्व तक—संघर्ष, दूरदर्शिता और सेवा की अदम्य भावना की एक गाथा है. उनकी अनुकूलनशीलता, नेतृत्व क्षमता और प्रेरणादायक व्यक्तित्व ने उन्हें कांग्रेस पार्टी के वर्तमान और भविष्य का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बना दिया है. जैसे-जैसे वे अपने विश्वासों और जनता के हितों के लिए संघर्ष करते रहते हैं, हुसैन की विरासत एक परिवर्तनकारी नेता के रूप में और भी मज़बूत होती जाएगी.
-भारत एक्सप्रेस
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