अमित शाह ( फाइल फोटो)
Tehreek-e-Hurriyat: तहरीक-ए-हुर्रियत, जम्मू और कश्मीर (TeH) को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत एक ‘गैरकानूनी संघ’ घोषित किया गया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “तहरीक-ए-हुर्रियत, जम्मू-कश्मीर को यूएपीए के तहत एक ‘गैरकानूनी संघ’ घोषित किया गया है.यह संगठन जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करने और इस्लामी शासन स्थापित करने की कोशिश में शामिल है.
उन्होंने कहा, “समूह को भारत विरोधी प्रचार फैलाते हुए और जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देने के लिए आतंकवादी गतिविधियों को जारी रखते हुए पाया गया है. आतंकवाद के खिलाफ पीएम मोदी जी की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत, भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति या संगठन को तुरंत विफल कर दिया जाएगा.”
बता दें कि तहरीक-ए-हुर्रियत, जिसकी स्थापना कट्टर अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने 2004 में की थी, हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का एक घटक समूह है. इससे पहले, अधिकारियों ने कहा था कि अलगाववादी समूह हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के दोनों गुटों को यूएपीए की धारा 3 (1) के तहत प्रतिबंधित किए जाने की संभावना है.
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस क्या है?
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस 1993 में 26 समूहों के साथ अस्तित्व में आई, जिनमें कुछ पाकिस्तान समर्थक और प्रतिबंधित संगठन जैसे जमात-ए-इस्लामी, जेकेएलएफ और दुख्तरान-ए-मिल्लत शामिल थे. इसमें पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और मीरवाइज उमर फारूक की अध्यक्षता वाली अवामी एक्शन कमेटी भी शामिल थी.
अलगाववादी समूह 2005 में दो गुटों में टूट गया, उदारवादी समूह का नेतृत्व मीरवाइज और कट्टरपंथी का नेतृत्व सैयद अली शाह गिलानी कर रहे थे. अब तक, केंद्र ने यूएपीए के तहत जमात-ए-इस्लामी और जेकेएलएफ पर प्रतिबंध लगा दिया है.
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2019 में लगाया गया था बैन
अधिकारियों ने कहा कि आतंकी समूहों की फंडिंग की जांच में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के सदस्यों सहित अलगाववादी और अलगाववादी नेताओं की कथित संलिप्तता का पता चला है. अधिकारियों ने कहा कि कैडरों ने जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए हवाला सहित विभिन्न अवैध चैनलों के माध्यम से देश और विदेश से धन जुटाया.इस मामले की जांच एनआईए ने की थी.