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तीन दिन पहले एक व्यक्ति गाजियाबाद के एक पुलिस स्टेशन में गया और दावा किया कि 31 साल पहले जब वह आठ साल का था, तब उसका अपहरण कर लिया गया था. प्रारंभिक जांच के बाद उसके खुलासों ने उसे उस परिवार के साथ फिर से मिला दिया, जिन्हें दशकों तक उसके गायब हो जाने का गम था.
गाजियाबाद पुलिस (Ghaziabad Police) और इस परिवार को तब यह नहीं पता था कि यही व्यक्ति सिर्फ पांच महीने पहले देहरादून में एक अन्य परिवार से फिर से मिला था. उत्तराखंड में एक बुजुर्ग माता-पिता ने उसे, तब नाम मोनू बताया था, को अपने बेटे के रूप में अपनाया, जो नौ साल की उम्र में गायब होने के बाद से 16 साल से लापता था. पुलिस ने शनिवार को उस व्यक्ति को हिरासत में लिया, जिसकी पहचान अभी तक नहीं हो पाई है.
मीडिया ने दोनों बार वापस परिवार से मिलने की तस्वीरें देखी हैं और पुष्टि की है कि यह एक ही व्यक्ति है. तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि वह असल में है कौन है. अभी तक इसका जवाब कोई नहीं जानता. पुलिस इस मामले की जांच कर रही है, ताकि एक पहेली का उत्तर मिल सके, जिसने दो राज्यों की पुलिस और परिवार को हैरान कर दिया है.
जुलाई में देहरादून पुलिस के पास आया
यह व्यक्ति पहली बार जुलाई की शुरुआत में देहरादून पुलिस के ध्यान में आया था. उसने तब अपना परिचय मोनू शर्मा के रूप में दिया था. उसने अधिकारियों को बताया कि उसे अज्ञात व्यक्तियों ने अगवा कर लिया था, जो उसे राजस्थान के एक सुदूर इलाके में ले गए थे. उसने दावा किया कि वहां उसे एक चरवाहे के परिवार के लिए बंधुआ मजदूर के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया गया था. उसने कहा कि उसे आखिरकार उत्तराखंड के एक ट्रक चालक ने बचाया, जो मवेशी खरीदने के लिए इलाके में आया था.
यहां अलग नाम बताया
एक भटके हुए बच्चे की घर वापसी से उत्साहित पुलिस ने तुरंत उसकी तस्वीर के साथ एक विज्ञापन चलाया. देहरादून के पटेल नगर की रहने वाली बुजुर्ग आशा शर्मा की नजर इस पर पड़ी. उन्होंने कहा कि यह उनका गुमशुदा बेटा है और उसे घर ले गईं, लेकिन दो दिन पहले यही व्यक्ति गाजियाबाद के खोड़ा पुलिस स्टेशन में आया, इस बार उसने खुद को भीम सिंह बताया. अपनी नई कहानी में उसने दावा किया कि 31 साल पहले, आठ साल की उम्र में, जब वह अपनी बहन के साथ स्कूल से घर लौट रहा था, तब उसका अपहरण कर लिया गया था.
हालांकि, यहां भी उसने वही बताया कि उसे राजस्थान ले जाया गया, जहां उसे जबरन मजदूरी करवाई गई और आखिरकार वह भाग निकला. गाजियाबाद में पुलिस ने उसकी तस्वीर प्रसारित की और वह परिवार से मिलने में सफल रहा.
AHTU कर रही जांच
देहरादून में मानव तस्करी विरोधी इकाई (AHTU) के प्रमुख इंस्पेक्टर प्रदीप पंत ने कहा कि पुलिस मामले की जांच के लिए गाजियाबाद पुलिस के साथ समन्वय कर रही है. इंस्पेक्टर प्रदीप ने कहा, “अब तक तो ऐसा लग रहा है कि दोनों मामलों में एक ही व्यक्ति है. हम उसकी असली पहचान जानने और उसके इरादों को समझने की कोशिश कर रहे हैं. अगर इसमें कोई धोखाधड़ी शामिल है, तो हम यह सुनिश्चित करेंगे कि उसकी वजह से किसी अन्य परिवार को परेशानी न हो.”
-भारत एक्सप्रेस
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