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उत्तर प्रदेश: परिवार का आरोप हिरासत में हुई व्यक्ति की मौत, पुलिस ने आरोपों से इनकार किया

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले का मामला. लखीमपुर पुलिस ने परिवार के दावों का खंडन करते हुए कहा कि व्यक्ति गैंगस्टर एक्ट के तहत आरोपी था और 6 जनवरी रात छापेमारी के दौरान पुलिस से भागते समय वह बेहोश हो गया था.

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

उत्तर प्रदेश पुलिस की छापेमारी के बाद मारे गए एक व्यक्ति के परिवार के सदस्यों ने कुछ पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. उनका आरोप है कि उसकी मौत पुलिस हिरासत में हुई. मामला राज्य के लखीमपुर खीरी जिले का है.

लखीमपुर पुलिस ने उनके दावों का खंडन करते हुए कहा कि वह गैंगस्टर एक्ट के तहत आरोपी था और सोमवार (6 जनवरी) रात छापेमारी के दौरान पुलिस से भागते समय वह बेहोश हो गया. पुलिस उपाधीक्षक (डीएमपी) द्वारा मृतक व्यक्ति के शोकाकुल परिवार के सदस्यों से बात करने का एक कथित वीडियो ऑनलाइन सामने आया है.

परिवार का आरोप

35 वर्षीय मृतक रामचंद्र के परिजनों के अनुसार, उन्हें सोमवार रात अवैध शराब बनाने के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया था. उन्होंने कहा कि अपनी बेगुनाही की दलील देने के बावजूद रामचंद्र को कथित तौर पर पुलिस हिरासत में रखा गया, जहां उनकी तबीयत तेजी से बिगड़ गई. परिवार ने दावा किया कि बाद में पुलिस उन्हें एक स्वास्थ्य केंद्र ले गई, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया. परिवार के सदस्यों ने घटना की जांच और उचित मुआवजे की मांग पूरी होने तक अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया.

पुलिस का इनकार

हालांकि, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) पवन गौतम ने दावा किया कि रामचंद्र गैंगस्टर एक्ट के तहत आरोपी था और छापेमारी के दौरान पुलिस से भागते समय गिर गया था. इस बात पर जोर देते हुए कि रामचंद्र की मौत हिरासत में नहीं हुई एएसपी गौतम ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है. एएसपी ने कहा, ‘पोस्टमॉर्टम डॉक्टरों के एक पैनल द्वारा किया गया था और इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग की गई थी. पोस्टमॉर्टम निष्कर्षों के अनुसार, मौत सदमे के कारण हुई थी. विसरा सुरक्षित रखा गया है.’

परिवार को प्रदर्शन

रामचंद्र की मौत के बाद उनके रिश्तेदारों और स्थानीय ग्रामीणों ने स्वास्थ्य केंद्र पर विरोध प्रदर्शन किया और पुलिस पर उनकी मौत का आरोप लगाया. उन्होंने जांच और 30 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की. उन्होंने अपनी मांगें पूरी होने तक मृतक का अंतिम संस्कार करने से भी इनकार कर दिया. परिवार ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस उनकी सहमति के बिना शव को जबरन पोस्टमॉर्टम के लिए लखीमपुर ले गई.

डीएसपी का वीडियो सामने आया

इस बीच एक वीडियो में लखीमपुर के डीएसपी पीपी सिंह कहते सुनाई दे रहे हैं कि इस घटना को लेकर पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी. वीडियो में वे कहते हैं, ‘न तो निघासन (थाने) के एसएचओ को निलंबित किया जाएगा और न ही मझगईं के एसएचओ को निलंबित किया जाएगा. न ही आपको 30 लाख रुपये (मुआवजा) मिलेगा.’ डीएसपी ने जाने से पहले कहा, ‘जो भी कर सकते हो करो. शव को जितने दिन तक रख सकते हो, रखो.’

समाजवादी पार्टी (एसपी) के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर वीडियो शेयर किया और सत्तारूढ़ भाजपा को ‘हृदयहीन पार्टी’ कहा.

-भारत एक्सप्रेस



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