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घोसी उपचुनाव: क्या घट रहा ओपी राजभर और दारा सिंह चौहान का सियासी कद?

Ghosi Bypolls: भारतीय जनता पार्टी इन नेताओं को अपने साथ जोड़े रखने के साथ-साथ तवज्जो भी देगी लेकिन बस उतनी ही जितनी उनको सियासी जरूरत होगी.

घोसी उपचुनाव 2023

UP Politics: उत्तर प्रदेश के घोसी विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव का परिणाम आ गया है जिसमें समाजवादी पार्टी एवं INDIA गठबंधन (I.N.D.I.A. Alliance) के प्रत्याशी सुधाकर सिंह ने BJP के प्रत्याशी दारा सिंह चौहान (Dara Singh Chauhan) को 42 हजार से अधिक मतों से परास्त करते हुए उत्तर प्रदेश के विधानसभा में 354 घोसी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के कोटे की सीट अपने नाम दर्ज की है.

मऊ जिले (Mau District) के घोसी विधानसभा क्षेत्र में पिछले छह वर्षों में चौथी बार उपचुनाव हुआ है. 2017 के विधानसभा चुनाव में घोसी से फागू चौहान (Fagu Chauhan) विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे लेकिन उनके राज्यपाल (Governor) बनने के बाद घोसी में उपचुनाव हुआ, वहीं 2022 में दारा सिंह चौहान विधानसभा के सदस्य के तौर पर निर्वाचित हुए थे लेकिन समाजवादी पार्टी को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन करने से पहले दारा सिंह चौहान ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद 5 सितम्बर को घोसी विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव का मतदान हुआ था एवं 8 सितम्बर को मतगणना हुई जिसमें समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुधाकर सिंह (Samajwadi Party’s Candidate Sudhakar Singh) ने अपनी जीत दर्ज की.

चुनाव परिणाम का प्रभाव

घोसी विधानसभा क्षेत्र का उपचुनाव उत्तर प्रदेश की सियासत में अपना अलग प्रभाव रखने वाले ओमप्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान के साख से जोड़कर देखा जा रहा है क्योंकि घोसी विधानसभा उपचुनाव से ठीक पहले ही दोनों नेता एनडीए गठबंधन का हिस्सा बने थे.

ओमप्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान जिस जाति से ताल्लुकात रखते हैं उस जाति के मतदाता भी घोसी में काफी प्रभावी भूमिका में हैं. लेकिन उसके बावजूद घोसी उपचुनाव में इतने बड़े अन्तर से चुनावी शिकस्त ने कहीं ना कहीं इन दोनों नेताओं के प्रभाव को कम करता नज़र आ रहा है. घोसी उपचुनाव का परिणाम इन नेताओं के जमीनी आधार को कमजोर साबित कर रहा है, ऐसे में अब यह दोनों नेता भारतीय जनता पार्टी पर बहुत दबाव बनाने की स्थिति में नहीं नज़र आ रहे हैं, जो कि लोकसभा 2024 के चुनाव और यूपी कैबिनेट के संभावित विस्तार को लेकर भारतीय जनता पार्टी के मूल कार्यकर्ताओं के लिए फायदेमंद साबित होगा.

भारतीय जनता पार्टी इन नेताओं को अपने साथ जोड़े रखने के साथ-साथ तवज्जो भी देगी लेकिन बस उतनी ही जितनी उनको सियासी जरूरत होगी. ऐसे में कहीं ना कहीं घोसी विधानसभा का उपचुनाव ने इन नेताओं के राजनैतिक महत्वाकांक्षा पर ग्रहण लगाने का काम किया है.

-भारत एक्सप्रेस

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