सुप्रीम कोर्ट.
सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन को लेकर दायर याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि इस तरह की याचिका पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. एक ही तरह की बार-बार याचिका दायर की जा रही है. इससे गलत संदेश जाता है. दायर याचिका में शंभू बॉर्डर सहित अभी अन्य बॉर्डर खोलने की मांग की गई थी.
यह याचिका पंजाब के रहने वाले गौरव लूथरा ने दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार, पंजाब सरकार और हरियाणा सरकार को आदेश दे कि सभी राज्यों के बॉर्डर खोले जाए.
बॉर्डर बंद करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन
गौरव लूथरा ने कहा था कि बॉर्डर बंद करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. इसलिए हम सभी राज्यों के बॉर्डर खोलने की मांग कर रहे है. साथ ही इसमें सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी कि सभी राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलवे ट्रैक आंदोलकारी किसानों द्वारा अवरुद्ध न किए जाए.
ये नेशनल हाईवे एक्ट और भारतीय न्याय संहिता यानी बीएनएस के तहत भी अपराध है. ऐसे में हाइवे को रोकने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए. बता दें कि एमएसपी सहित अपनी मांगों को लेकर हरियाणा-पंजाब के किसान पिछले 13 फरवरी से शंभु बॉर्डर पर डटे हुए हैं. बता दें कि 2 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस नवाब सिंह की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय एक हाई पावर कमेटी का गठन किया था.
MSP और अन्य मुद्दों पर बातचीत करें किसान
इस कमेटी को किसानों से एमएसपी और अन्य मुद्दों पर बातचीत करने का निर्देश दिया था और पैनल से किसानों से बैरिकेडिंग हटाने के लिए बात चीत करने बको कहा गया था. साथ, ही कोर्ट ने किसानों से यह भी कहा था कि वे अपने आंदोलन का राजनीतिकरण न करें और अपनी बैठकों में अनुचित मांगे न रखे. ज्ञात हो कि केंद्र पर उनकी मांगों को पूरा करने के लिए कदम ना उठाने का आरोप लगाया है और दावा किया है कि 18 फरवरी के बाद से केंद्र सरकार ने उनके मुद्दों पर उनसे कोई बातचीत नही की है.
एमएसपी के लिए कानून गारंटी के अलावा, किसान स्वामीनाथन आयोग की.सिफारिश को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करने और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग कर रहे है.
-भारत एक्सप्रेस
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