सुप्रीम कोर्ट
हिमाचल प्रदेश के दो जजों ने कॉलेजियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. दोनों जजों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई करेगा. दोनों जिला जज ने आरोप लगाया है कि हाइकोर्ट कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट के सलाह और केंद्रीय कानून मंत्री के पत्रों को नजर अंदाज कर हाइकोर्ट कब न्यायाधीश के लिए जूनियर जिला न्यायधीशों के नाम को आगे बढ़ाया है. यह याचिका हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर और सोलन जिले के जिला न्यायाधीश चिराग भानू और अरविंद मल्होत्रा की ओर से दायर की गई है.
हिमाचल प्रदेश के दो जजों ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
याचिका में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से पिछले 4 जनवरी के प्रस्ताव के मुताबिक हाइकोर्ट कॉलेजियम को उनके नामों पर दोबारा विचार करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है. याचिका में कहा है कि हाइकोर्ट के इस रवैये से उनके संवैधानिक अधिकार एवं चुने जाने के अधिकार को हानि पहुची है. बतादें कि पिछले साल 12 जुलाई को हाइकोर्ट जज के तौर पर नियुक्ति के लिए हाइकोर्ट कॉलेजियम ने चिराग भानू और अरविंद मल्होत्रा के नाम की सिफारिश की थी. लेकिन इसे शुरू में ही रोक दिया गया.
सुप्रीम कोर्ट जल्द करेगा सुनवाई
चार जनवरी 2024 को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम ने दोनों नामों पर दोबारा विचार करने के लिए हाइकोर्ट कॉलेजियम को भेजा था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्रीय कानून मंत्री ने हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भी पत्र लिखा. इसके बावजूद हाइकोर्ट कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सलाह और कानून मंत्री के पत्र की अनदेखी कर दी और उनके नामों पर पुनर्विचार किये बिना, उनकी योग्यता, वरिष्ठता और बेदाग न्यायिक ट्रैक रेकॉर्ड को नजरअंदाज कर उनसे बहुत जूनियर न्यायिक अधिकारियों के जजमेंट मंगाने शुरू कर दिए.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में मुख्य न्यायाधीश के अलावे चार वरिष्ठतम जज होते हैं. वहीं हाइकोर्ट कॉलेजियम में हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस और 4 वरिष्ठतम जज होते हैं. कॉलेजियम द्वारा किसी कैंडिडेट्स की नियुक्ति के लिए नाम तय करने की प्रक्रिया में सरकार की कोई सीधी सहभागिता नही होती है. कॉलेजियम अपनी सिफारिशें सरकार को भेजता है. पिछले कुछ सालों से कॉलेजियम सिस्टम पर लगातार सवाल उठते रहे हैं. कई मौके पर कॉलेजियम को लेकर सरकार और न्यायपालिका के।बीच तकरार जैसी स्थिति भी देखने को मिली.