इकबाल अंसारी-भाजपा नेता शरद पाठक
Ayodhya News: अयोध्या में बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी ने रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की मांग उठाई है. उन्होंने कहा है कि रामचरितमानस को धार्मिक ग्रंथ घोषित किया जाए. इसी के साथ सवाल उठाया है कि इस वक्त मोदी जी पीएम है और योगी जी सीएम है, ऐसे में अब नहीं तो कब? वहीं रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने भी इकबाल अंसारी की मांग का समर्थन किया है.
दोनों मांगों को लेकर वरिष्ठ भाजपा नेता शरद पाठक ने कहा है कि रामचरितमानस को धार्मिक ग्रंथ घोषित कराने के लिए हमने प्रधानमंत्री को, महामहिम राष्ट्रपति को और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर के माँग की है कि हमारे ग्रंथ जैसे रामचरितमानस और श्रीमद्भाभगवत गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाए. हिंदुस्तान में करोड़ों सनातनी और हिंदुओं के रहने के उपरांत जिनकी आबादी 80% से ज्यादा है, फिर भी हम अपने धर्म और ग्रंथों को राष्ट्रीय दर्जा नहीं दिला पा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि थाईलैंड में हिंदुओं की आबादी 0.002 प्रतिशत है और वहां पर रामायण को राष्ट्रीय ग्रंथ का दर्जा दिया गया है तो हमारे देश में रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ का दर्जा क्यों नहीं दिया जा रहा है? हम हस्ताक्षर अभियान चलाएंगे और जनता के बीच में जाएंगे, जन जागरण करेंगे.
रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने के लिए पहले भी मांग उठ चुकी है लेकिन अब हाल ही में बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी ने सरकार से मांग कर मुद्दे को गरम कर दिया है. उनकी मांग का अयोध्या के साधु संत समेत सभी लोग समर्थन कर रहे हैं.
वहीं शरद पाठक का कहना है कि हमारे ग्रंथ जैसे रामचरितमानस और श्रीमद्भाभगवत गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाए, ताकि सनातन धर्म के लोगों के अंदर किसी तरह की हीन भावना ना हो कि हमारे ग्रंथो का कोई महत्व नहीं है. देश के सब लोग समझ रहे हैं, देश का संविधान समझ रहा है कि इस ग्रंथ को एक पुस्तक की तरह आंका जा रहा है, जब कि यह पुस्तक नहीं है.
बता दें कि हाल ही में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने श्रीरामचरितमानस को लेकर विवादित टिप्पणी की थी और इसकी चौपाइयों के कुछ अंश हटाने की भी मांग की थी, इसी के बाद से साधु-संत स्वामी प्रसाद मौर्य का विरोध कर रहे हैं.
-भारत एक्सप्रेस