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अमेरिका ने भारत को विशेष चिंता का देश नहीं कहा’, अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर पैनल की रिपोर्ट पर दूत गार्सेटी

प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (USCIRF) इस बार अपनी 2023 की वार्षिक रिपोर्ट में भारत के बारे में पक्षपाती और प्रेरित टिप्पणियों को फिर से प्रकाशित करना जारी रखता है

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर पैनल की रिपोर्ट पर दूत गार्सेटी

New Delhi : भारत में संयुक्त राज्य अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका ने “भारत विशेष चिंता का देश” का उल्लेख नहीं किया है ANI  के साथ एक साक्षात्कार में दूत गार्सेटी ने कहा, “यह सरकार का एक स्वतंत्र आयोग है जो विदेश विभाग नहीं है. लेकिन वास्तव में भारत को विशेष चिंता का देश नहीं कहा. हम अपने जैसे देशों में उजागर कर सकते हैं, जहां असहिष्णुता है और जहां हमें यह सुनिश्चित करने के लिए एक साथ खड़े होने की आवश्यकता है कि हर धार्मिक पृष्ठभूमि के लोग महसूस करें कि वे संबंधित हैं  इसलिए हम हमेशा उन मूल्यों के लिए खड़े रहेंगे,

विदेश मंत्रालय के एक बयान पर प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (USCIRF) इस बार अपनी 2023 की वार्षिक रिपोर्ट में भारत के बारे में पक्षपाती और प्रेरित टिप्पणियों को फिर से प्रकाशित करना जारी रखता है. हम इस तरह की टिप्पणियों को अस्वीकार करते हैं. जिसमें  तथ्यों को गलत ढंग से प्रस्तुत करना, जो केवल USCIRF को ही बदनाम करने का काम करता है.

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दो साल से भारत में अमेरिका का स्थायी राजदूत नहीं

दरअसल  जनवरी 2021 में तत्कालीन अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर के इस्तीफा के बाद से नई दिल्ली स्थित अमेरिक दूतावास बिना राजदूत के चल रहा है. दोनों देशों के राजनयिक इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि दो साल से ज्यादा समय तक भारत में अमेरिका का कोई स्थायी राजदूत नहीं है.  बाइडेन के सत्ता में आने के बाद से अमेरिका ने भारत को अपना अहम रणनीतिक सहयोगी बताया है. यहां तक कि अमेरिका चाहता है कि हथियारों को लेकर भारत की रूस पर निर्भरता भी कम हो. जबकि अमेरिका ने भारत को आधुनिक तकनीक मुहैया कराने को लेकर कई समझौते भी किए हैं.

लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन बाइडेन का आधा कार्यकाल खत्म होने के बावजूद भारत में अमेरिका का कोई स्थायी राजदूत नहीं होने को लेकर कई सवाल खड़े किए जा रहे थे. इसे अमेरिका की विदेश नीति में भारत की उपेक्षा से भी जोड़कर देखा गया. सत्ता में आने के बाद से बाइडेन सरकार ने छह लोगों को राजदूत के रूप में अंतरिम प्रभार सौंपा है

-भारत एक्सप्रेस 

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