भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) से भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के कामकाज को चलाने के लिए तदर्थ समिति के पुनर्गठन के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में उठाए गए कदमों से संबंधित रिपोर्ट तलब किया है. न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने पहलवान बजरंग पुनिया, विनेश फोगट, साक्षी मलिक और उनके पति सत्यव्रत कादियान की याचिका पर यह निर्देश दिया, जिसमें महासंघ के पदाधिकारियों के चुनाव के लिए दिसंबर में हुए चुनावों को रद्द करने और उन्हें अवैध घोषित करने की मांग की गई है.
कोर्ट ने केंद्र और आईओए को पहलवानों की याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने का अंतिम अवसर भी दिया, जो पिछले साल जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन में सबसे आगे थे जिसमें सात महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न के लिए डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग की गई थी. 21 दिसंबर, 2023 को हुए चुनावों में बृजभूषण के वफादार संजय सिंह को डब्ल्यूएफआई का नया अध्यक्ष चुना गया.
उन्होंने कहा अदालत अंतिम छूट के तौर पर उन्हें (केंद्र और आईओए) अपने हलफनामे/प्रति-हलफनामे दर्ज करने के लिए दो सप्ताह का समय देती है. अगर प्रतिवादी तय समय में कोई प्रति-हलफनामा दाखिल नहीं करते हैं, तो अदालत मामले की सुनवाई जारी रखेगी. पहलवानों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने गुरुवार को दलील दी कि अदालत के आदेश के बावजूद निलंबित निकाय अभी भी काम कर रहा है और कामकाज को चला रहा है, और अदालत से अधिकारियों को पहले के आदेश का पालन करने का निर्देश देने का आग्रह किया.
न्यायमूर्ति कौरव ने मेहरा से कहा कि यदि कोई गैर-अनुपालन होता है तो अदालत की अवमानना के लिए आवेदन दायर करें और निर्देश दिया कि मामले को तीन सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए. आईओए के वकील ने कहा कि मामले पर विचार-विमर्श किया जा रहा है और उन्होंने अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा.
-भारत एक्सप्रेस
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