पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और सीएम अशोक गहलोत
Rajasthan Election 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव का मतदान खत्म हो चुका है. 25 नवंबर को 199 सीटों पर वोटिंग होने के बाद अब प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 74.13 फीसदी मतदान हुआ है, वहीं 0.83 प्रतिशत वोट डाक पत्र और घरेलू मतदान के जरिए हुआ है. 2018 के चुनाव से अगर इसकी तुलना करें तो इस बार 0.9 फीसदी ज्यादा मतदान हुआ है. अब चुनाव खत्म होने के बाद तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं.
हर 5 साल में सत्ता का परिवर्तन होता है
राजस्थान में रिवाज रहा है कि हर 5 साल में सत्ता का परिवर्तन होता है. इसके अलावा वोटिंग को लेकर भी बीते 20 सालों से ट्रेंड रहा है कि जब भी मतदान कम हुआ है तो इसका फायदा कांग्रेस को मिला है, लेकिन अगर वोटिंग में बढ़ोतरी हुई है तो उससे बीजेपी की सीटें बढ़ी हैं. इस बार के चुनाव 5 करोड़ से ज्यादा वोटर्स ने अपना वोट डाला है. मतदान के नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे. उसके बाद ही पता चलेगा कि अशोक गहलोत राजस्थान की परंपरा को तोड़ते हैं या फिर जनता इस रिवाज को बरकरार रखती है.
199 सीटों पर मतदान हुआ है
इस बार 199 सीटों पर मतदान हुआ है. चुनाव के बीच में श्रीगंगानगर जिले की करणपुर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार गुरमीत सिंह कन्नूर का निधन हो गया था. जिसके बाद इस सीट पर वोटिंग स्थगित कर दी गई थी. इस सीट पर अब उपचुनाव कराए जाएंगे. गुरमीत सिंह इससे पहले 2018 में निर्दलीय जीतकर विधायक बने थे.राजस्थान में सबसे ज्यादा वोटिंग जैसलमेर में 82.32 फीसदी हुई है, वहीं सबसे कम सवाई माधोपुर में हुई है. यहां पर 69.91 प्रतिशत थी.
इन नेताओं की साख दांव पर
चुनाव में सीएम अशोक गहलोत, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के अलावा बीजेपी के राज्यवर्धन सिंह राठौड़, बाबा बालकनाथ, नरेंद्र कुमार, भगीरथ चौधरी, किरोड़ी लाल मीणा के अलावा कांग्रेस के उम्मीदवार गौरव वल्लभ की शाख दांव पर लगी है.
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दोनों दलों के बीच कड़ा मुकाबला
सियासी जानकारों का मानना है कि इस बार के चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला है. जनता के बीच दोनों दलों को लेकर माहौल देखने को मिल रहा था. बीजेपी ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही कुर्सी की जंग को भी चुनाव में हवा देने की कोशिश की है.
20 सालों का चुनावी ट्रेंड
राजस्थान के चुनावी ट्रेंड को ध्यान में रखें तो जब भी विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत में कमी आई है तो कांग्रेस को इसका सीधा फायदा मिला है, जबकि वोटिंग बढ़ने से बीजेपी ने बाजी मारी है. साल 1998 के चुनाव में 63.39 फीसदी वोटिंग हुई थी और कांग्रेस की सरकार बनी थी. गहलोत पहली बार मुख्यमंत्री बने थे. उसके बाद 2003 के चुनाव में 67.18 फीसदी मतदान हुआ और बीजेपी सरकार बनी. तब 3.79 फीसदी वोटिंग बढ़ी थी. वसुंधरा राजे पहली बार मुख्यमंत्री बनीं थीं. राज्य में 2008 में 66.25 प्रतिशत वोटिंग हुई और कांग्रेस की सरकार बनी. कांग्रेस ने 96 सीटें जीतीं. जबकि बीजेपी की 78 सीटें आईं. तब मतदान प्रतिशत 0.93 फीसदी घट गया था.
-भारत एक्सप्रेस
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