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10 महीने में ही हटा दिए गए खाबरी, अजय राय को यूपी की कमान सौंपने के पीछे क्या है कांग्रेस का गणित?

कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने राय की नियुक्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. आने वाले दिनों में राय यूपी कांग्रेस के हर फैसलों में शामिल दिखेंगे.

अजय राय

अजय राय

UP Politics: 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने गुरुवार को बृजलाल खाबरी को पद से हटाकर पूर्व विधायक अजय राय को उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बना दिया. खाबरी ने पिछले साल अक्टूबर में यूपीसीसी प्रमुख का पद संभाला था. लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि आखिर कांग्रेस ने पूर्वांचल के नेता को यूपी की जिम्मेदारी क्यों सौंपी है? कांग्रेस आलाकमान को अजय राय पर इतना भरोसा कैसे? आखिर दस महीने के भीतर ही बृजलाल खाबरी को क्यों हटा दिया गया?

यूपी कांग्रेस चीफ के थे दो और दावेदार

बता दें कि किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिहाज से यूपी बड़ा और अहम राज्य है. केंद्र में किस दल की सरकार बनेगी ये यूपी से ही लगभग तय होती है. यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष पद के दो और दावेदार थे. पी.एल. पुनिया और वीरेंद्र चौधरी. लेकिन अजय राय दोनों से आगे निकल गए. अजय राय पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं. राय, प्रियंका की कोर टीम में भी शामिल हैं. यूपी कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि खाबरी और प्रियंका की टीम के बीच संबंध पूरी तरह से टूट चुके हैं. कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने स्पष्ट रूप से पुनिया के नाम को अंतिम रूप दे दिया था, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि अजय राय ने प्रियंका की टीम के समर्थन के कारण रेस जीत ली.

कांग्रेस पदाधिकारियों का कहना है कि अजय राय को यूपी कांग्रेस प्रमुख बनाने से बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन के दरवाजे खुल सकते हैं. एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ”खाबरी एक दलित नेता हैं और उन्होंने अतीत में अपनी पार्टी से बाहर निकलते समय बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ कई बयान दिए थे.”

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ऊंची जाति को साधने का प्लान

कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने राय की नियुक्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. आने वाले दिनों में राय यूपी कांग्रेस के हर फैसलों में शामिल दिखेंगे. अजय राय वाराणसी का प्रतिनिधित्व करने वाला एक मुखर चेहरा बन गए हैं, जहां उनकी न केवल भूमिहार समुदाय के बीच, बल्कि ब्राह्मणों के बीच भी महत्वपूर्ण उपस्थिति है. कहीं न कहीं कांग्रेस ने इस लिए भी राय पर भरोसा जताया है.

बता दें कि साल 1989 में उत्तर प्रदेश में सत्ता में रही कांग्रेस साल 2019 के लोकसभा चुनाव में महज 1 सीट पर सिमट गई थी. सोनिया गांधी यूपी से निचले सदन के लिए चुनी जाने वाली पार्टी की एकमात्र उम्मीदवार थीं. 2022 के यूपी विधानसभा चुनावों में भी, कांग्रेस को लगभग हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस के हाथ केवल दो सीटें आईं. पूर्वांचल में पार्टी के वोट शेयर घटे हैं, कहीं न कहीं इस लिए भी अजय राय को यूपी की कमान सौंपी गई है ताकि पूर्वांचल के वोट को सहेजा जा सके.

-भारत एक्सप्रेस

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