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ISRO का NVS-02 का प्रक्षेपण क्यों साबित होगा आत्मनिर्भर भारत के लिए मील का पत्थर! Countdown शुरू

ISRO एक और ऐतिहासिक उपलब्धि की दहलीज पर है. कुछ घंटो बाद होने वाला यह लॉन्च भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा.

Satellite

प्रतीकात्मक फोटो. (Pixabay)

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक और ऐतिहासिक उपलब्धि की दहलीज पर है. श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी-एफ15 (GSLV-F15) रॉकेट के जरिए 100वें मिशन का प्रक्षेपण 29 जनवरी, 2025 को होने वाला है. यह मिशन भारत के उपग्रह नेविगेशन और क्षेत्रीय स्थिति निर्धारण की क्षमताओं को नई ऊंचाइयों तक ले जाने वाला है.

यह प्रक्षेपण इसलिए खास है क्योंकि यह इसरो का 100वां मिशन है. GSLV-F15 रॉकेट 29 जनवरी को सुबह 6:23 बजे NVS-02 उपग्रह के साथ लॉन्च किया जाएगा.

इसरो अध्यक्ष वी नारायणन का पहला मिशन

यह मिशन इसरो के अध्यक्ष वी नारायणन (V Narayanan) के नेतृत्व में पहली बार हो रहा है. उन्होंने 13 जनवरी, 2025 को अपना कार्यभार संभाला. यह मिशन भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता और नवाचार का उदाहरण है.

GSLV-F15 और NVS-02: मिशन की विशेषताएं

GSLV-F15 इसरो के जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) कार्यक्रम का हिस्सा है. यह रॉकेट भारत के NavIC प्रणाली के लिए NVS-02 उपग्रह को लेकर जाएगा.

  • NVS-02 उपग्रह

यह NavIC (Navigation with Indian Constellation) श्रृंखला का दूसरा उपग्रह है. इसका उद्देश्य भारतीय उपमहाद्वीप और इसके आसपास के 1,500 किमी तक के क्षेत्र में उपयोगकर्ताओं को सटीक स्थिति, गति और समय संबंधी जानकारी प्रदान करना है.

  • उपग्रह का वजन: लगभग 2,250 किलोग्राम.
  • लॉन्च के बाद इसे जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में स्थापित किया जाएगा.
  • क्रायोजेनिक चरण

GSLV-F15 में स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग किया गया है, जो उपग्रह प्रक्षेपण के लिए उच्च दक्षता और पेलोड क्षमता प्रदान करता है. यह तकनीक भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान में आत्मनिर्भरता को दर्शाती है.

NavIC प्रणाली की विशेषताएं

NavIC, सात उपग्रहों के नेटवर्क पर आधारित एक स्वतंत्र क्षेत्रीय नेविगेशन प्रणाली है. इसका उपयोग सैन्य और नागरिक दोनों उद्देश्यों के लिए किया जाता है. NVS-02 के जुड़ने से NavIC की सटीकता और कवरेज क्षेत्र में सुधार होगा. यह परिवहन, कृषि और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में भी उपयोगी साबित होगा.

लॉन्च का सीधा प्रसारण

इसरो इस ऐतिहासिक प्रक्षेपण का सीधा प्रसारण करेगा. उत्साही दर्शक और विशेषज्ञ इस मिशन की प्रत्येक प्रक्रिया को लाइव देख सकते हैं.

भारत की अंतरिक्ष यात्रा में नया अध्याय

GSLV-F15 मिशन न केवल इसरो की तकनीकी दक्षता का प्रमाण है, बल्कि भारत को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में और मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. इससे देश की जीपीएस जैसी विदेशी प्रणालियों पर निर्भरता कम होगी और भारत की स्वदेशी नेविगेशन प्रणाली को नई पहचान मिलेगी.

प्रक्षेपण समय:

29 जनवरी, 2025, सुबह 6:23 बजे.

स्थान: सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा.

-भारत एक्सप्रेस



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