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रूढ़िवादी सोच की दीवारों को तोड़कर आगे बढ़ रही हैं पंजाब की महिलाएं

पंजाब पिछले कुछ वर्षों में महिला सशक्तिकरण और उनकी प्रगति को लेकर क्रांति के केंद्र के रूप में उभरकर सामने आया है.

पंजाब पिछले कुछ वर्षों में महिला सशक्तिकरण और उनकी प्रगति को लेकर क्रांति के केंद्र के रूप में उभरकर सामने आया है. साथ ही सशक्तिकरण और समानता की दिशा में एक नया रास्ता बनाने में बेहतरीन भूमिका निभाई है. मौजूदा दौर में पंजाब में महिलाओं की शिक्षा से लेकर उद्यमिता और राजनीति तक में भागीदारी हो रही है. महिलाएं हर बाधाओं और बंदिशों को तोड़कर अपनी जगह बना रही हैं. पंजाब राज्य सरकार के आंकड़ों की मानें तो राज्य में महिला साक्षरता दर 2001 में 70.73 प्रतिशत से बढ़कर 2011 में 75.84 फीसदी हो गई. यह एक बड़ी उपलब्धि है.

राज्य में महिलाओं की हो रही प्रगति सराहनीय है, लेकिन अभी भी महिलाओं को भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही पितृसत्तात्मक सोच और रवैये गहरी जड़ें जमाए हुए हैं जो उन्हें उनकी क्षमताओं को हासिल करने से रोकती हैं. इसका जीता जागता उदाहरण राज्य में लैंगिक वेतन में अंतर भी है. जिसमें महिलाएं अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में औसतन 20 फीसदी कम कमाती हैं.

लेकिन इन सब के बावजूद महिलाओं ने लैंगिक असमानता और रूढ़िवादी सोच की दीवारों को तोड़ते हुए नए रास्ते तलाश रही हैं. महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी कामयाबी का परचम लहरा रही हैं. चाहे वो राजनीति हो, या फिर शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र, हर जगह महिलाएं अपनी पहुंच बनाने में जुटी हुई हैं. पंजाब में हरसिमरत कौर बादल, पूर्व केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री और शिरोमणि अकाली दल की एक प्रमुख हस्ती जैसी महिलाओं ने महिला सशक्तिकरण की वकालत की है. पंजाब में महिलाओं के सशक्तिकरण में शिक्षा ने अहम योगदान दिया है.

-भारत एक्सप्रेस

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