बजरंग पूनिया (फोटो फाइल)
पहलवान बजरंग पुनिया ने राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) द्वारा अपने निलंबन दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. पुनिया का दावा है कि नाडा की कार्रवाई भारतीय संविधान के तहत अपने पेशे का अभ्यास करने और आजीविका कमाने के उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है. उनका तर्क है कि यदि मनमाना निलंबन नहीं हटाया जाता है, तो उन्हें सेवानिवृत्त होने के लिए मजबूर किया जा सकता है.
21 जून को नाडा ने औपचारिक चार्ज का नोटिस जारी किया और पुनिया को दूसरी बार निलंबित कर दिया, जिससे वह प्रशिक्षण या प्रतिस्पर्धा करने के लिए अयोग्य हो गए. यह निर्णय तब आया जब अनुशासन-विरोधी डोपिंग (एडीडीपी) पैनल ने नाडा द्वारा आरोप की उचित सूचना प्रदान करने में विफलता का हवाला देते हुए प्रारंभिक निलंबन को रद्द कर दिया था. पुनिया द्वारा 10 मार्च को चयन ट्रायल के दौरान मूत्र का नमूना देने से इनकार करने के बाद 23 अप्रैल को प्रारंभिक निलंबन लगाया गया था. इसके कारण नाडा और वैश्विक शासी निकाय, यूनाइटेड रेसलिंग वर्ल्ड द्वारा समवर्ती निलंबन हुआ.
वकील विदुषपत सिंघानिया के माध्यम से दायर अपनी याचिका में, पुनिया ने तर्क दिया कि नाडा ने एक्सपायर हो चुकी टेस्ट किट का उपयोग करके और अनुचित आधार पर निलंबन जारी करके परीक्षण प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया। वह 21 जून के निलंबन को निलंबित करने या पलटने का आदेश मांगते हुए दावा करते हैं कि यह उनके स्पष्टीकरण और सबूतों पर उचित विचार किए बिना जारी किया गया था.
पुनिया की याचिका में कहा गया है कि निलंबन के कारण 28 से 31 अक्टूबर, 2024 तक होने वाली सीनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में उनकी भागीदारी खतरे में पड़ जाएगी. उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि निलंबन नहीं हटाया गया तो उनके पास कुश्ती से संन्यास लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा. इस अक्टूबर में अल्बानिया में सीनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप तय है.
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-भारत एक्सप्रेस