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क्या आप जानते हैं पहले मानवयुक्त गगनयान मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्री किस तरह से ले रहे ​हैं ट्रेनिंग

Mission Gaganyan: ‘गगनयान मिशन’ के तहत अंतरिक्ष यात्रियों के साथ भारत की पहली अंतरिक्ष उड़ान के लिए ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला को चुना गया है. ये भारतीय वायुसेना के अधिकारी हैं.

ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला को मानव युक्त गगनयान मिशन के लिए चुना गया है.

अंतरिक्ष यात्रियों के साथ भारत के पहले ‘गगनयान मिशन’ (Gaganyaan Mission) को लेकर नया अपडेट आया है. इस मिशन के लिए चुने गए चार अंतरिक्ष यात्रियों की धुंआधार ट्रेनिंग इन दिनों कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO/इसरो) के नए प्रशिक्षण केंद्र में चल रही है.

इस हार्डकोर ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत अंतरिक्ष उड़ान, प्रोपल्शन (किसी चीज को आगे बढ़ाने वाली शक्ति) और एयरोडायनमिक्स (वह तरीका, जिससे वस्तुएं हवा में चलती हैं) पर केंद्रित इंजीनियरिंग विषयों का प्रशिक्षण इन चार अंतरिक्ष यात्रियों को दिया जा रहा है.

इन चार अंतरिक्ष यात्रियों के नाम ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला हैं. ये चारों भारतीय वायुसेना के अधिकारी हैं.

बीते 27 फरवरी को केरल के तिरुवनंतपुरम में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र का दौरा करने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरिक्ष यात्रियों के तौर पर इनके नामों की घोषणा की थी, जो इसरो के गगनयान मिशन के हिस्से के रूप में लो-अर्थ ऑर्बिट (​पृथ्वी की निचली कक्षा) में उड़ान भरेंगे.

लो-अर्थ ऑर्बिट (Low-Earth Orbit) में 2,000 किलोमीटर (1,200 मील) या उससे कम की ऊंचाई वाली पृथ्वी की विभिन्न कक्षाएं शामिल होती हैं. इसे पृथ्वी के काफी करीब का क्षेत्र माना जाता है.

योग का सहारा

अंतरिक्ष उड़ान और इं​जीनियरिंग संबंधी विषयों की ट्रेनिंग के अलावा इन अंतरिक्ष यात्रियों से योग भी कराया जा रहा है. बेंगलुरु के इसरो सुविधा केंद्र में अंतरिक्ष यात्रियों को योग के अलावा निरंतर शारीरिक और मनोवैज्ञानिक प्रशिक्षण से भी गुजारा जा रहा है. वे अपने पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में एयरो-मेडिकल प्रशिक्षण भी ले रहे हैं.

इसके अलावा इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में सिम्युलेटर (Simulator) संबंधी प्रशिक्षण भी शामिल हैं, जिसमें अंतरिक्ष उड़ान के दौरान लगने वाले झटकों और कंपन आदि को झेलने के लिए आर्टिफिशियल तरीके से माहौल तैयार कर अं​तरिक्ष यात्रियों को इनके प्रति अभ्यस्त कराया जाता है.

उड़ान प्रक्रियाओं की ट्रेनिंग के लिए कोर्स में कम से कम चार अलग-अलग सिम्युलेटर – इंडिपेंडेंट ट्रेनिंग सिम्युलेटर, वर्चुअल ट्रेनिंग सिम्युलेटर, स्टैटिक मॉक-अप सिम्युलेटर और डायनामिक ट्रेनिंग सिम्युलेटर – को शामिल किया गया है.

अभी ये अंतरिक्ष यात्री एक विशेष प्रशिक्षण ले रहे हैं, जिसमें वे अंतरिक्ष मिशन से पहले अंतरिक्ष यान और उसके संचालन से परिचित होंगे.

कोविड महामारी के दौरान रूस में हो चुकी है ट्रेनिंग

इसरो और ग्लावकॉस्मॉस (रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कॉस्मॉस की सहायक कंपनी) ने जून 2019 में चार अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे. इन अंतरिक्ष यात्रियों ने फरवरी 2020 से मार्च 2021 तक रूस के मॉस्को ओब्लास्ट स्थित यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण लिया था.

रूस में भारतीय वायुसेना के इन चार अधिकारियों ने सामान्य अंतरिक्ष उड़ान प्रशिक्षण लिया. इसमें बाहरी अंतरिक्ष में खुद को ढालना और भारहीनता जैसी स्थितियों के लिए अभ्यस्त होना शामिल है. इस सेंटर में इन यात्रियों ने जीरो-ग्रैविटी वाली स्थितियों, वायुमंडलीय दबाव में बदलाव और टीम से अलगाव की स्थिति में जीवित रहने का अभ्यास किया.

इन लोगों ने पैराबालिक उड़ानों में भी समय बिताया है. इसके तहत एयरक्राफ्ट 45 डिग्री पर ऊपर और नीचे उड़ते हैं, ताकि यात्रियों को रोलर कोस्टर की तरह भारहीनता और बढ़ी हुई ग्रैविटी वाले वातावरण का अनुभव हो सके.

अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय राकेश शर्मा और उनकी जगह पर स्टैंडबाय में मौजूद अंतरिक्ष यात्री रवीश मल्होत्रा ने भी 1980 के दशक में गगारिन सेंटर में प्रशिक्षण लिया था.

विपरीत जलवायु में जीवित रहने की ट्रेनिंग

इसके अलावा इन यात्रियों ने अंतरिक्ष उड़ान के बाद पृथ्वी पर लौटने के क्रम में विभिन्न लैंडिंग स्थितियों की तैयारी के लिए पहाड़ों, जंगलों, दलदलों, रेगिस्तानों, बर्फीले स्थान और समुद्र जैसे चरम मौसम और जलवायु परिस्थितियों में जीवित रहने के लिए भी प्रशिक्षण लिया है.

रूस में इन यात्रियों ने ऑर्बिट मैकेनिक्स और एस्टो-नेविगेशन की क्लास भी ली है. भारत में ये अंतरिक्ष यान के क्रू-मॉड्यूल से परिचित हो रहे हैं.

तीन दिन का होगा मानवयुक्त मिशन

गगनयान मिशन अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी से 400 किलोमीटर ऊपर की कक्षा में लॉन्च करके भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करेगा. यानी कि यान अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किमी की ऊंचाई पर पृथ्वी की निचली कक्षा में ले जाएगा. इसके बाद समुद्र में लैंडिंग के साथ उन्हें सुरक्षित धरती पर वापस लाएगा. यह मिशन तीन दिनों का होगा. इसके इतर पहली मिशन उड़ान ‘गगनयान-1’ प्रौद्योगिकी की जांच करने के लिए एक मानव रहित परीक्षण उड़ान इस साल के अंत तक होने की उम्मीद है.

– भारत एक्सप्रेस

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