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Khusro Foundation Book Launch: अहमत कुरू की पुस्तक का विमोचन, NSA अजीत डोभाल और एम. जे. अकबर ने व्यक्त किए विचार

खुसरो फाउंडेशन बुक लॉन्च में अजीत डोभाल और एम. जे. अकबर ने इस्लाम, तानाशाही और अविकास पर अपने विचार साझा किए. कुरू ने मुस्लिम समाज के विकास के लिए लोकतंत्र को समाधान बताया.

ajit doval delhi

नई दिल्ली : वर्ल्ड बुक फेयर में आयोजित खुसरो फाउंडेशन के बुक लॉन्च इवेंट में तुर्कियन-अमेरिकी स्कॉलर-ऑथर अहमत टी. कुरू (Ahmet T. Kuru) ने अपनी नई पुस्तक “Islam Authoritarianism: Underdevelopment – A Global and Historical Comparison” का विमोचन किया. इस अवसर पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल और पूर्व पत्रकार और लेखक एम. जे. अकबर भी उपस्थित रहे.

बता दें कि अपनी पुस्तक में कुरू ने इस्लाम और तानाशाही शासन के बीच के संबंधों का विश्लेषण किया है और मुस्लिम समाज के विकास में आई रुकावटों पर विचार व्‍यक्‍त किए हैं.

बुक लॉन्‍च के दौरान NSA अजीत डोभाल ने अपने संबोधन में कहा कि राज्य और मत-मजहब के बीच संबंध केवल इस्लाम में ही अद्वितीय नहीं हैं, बल्कि यह विभिन्न ऐतिहासिक दौरों में बदलते रहे हैं. उन्होंने अब्बासी शासन का उदाहरण दिया, जहां राज्य और धर्म के बीच भूमिका स्पष्ट थी.

डोभाल ने यह भी कहा कि जो पीढ़ियाँ “बॉक्स से बाहर सोचने” में असमर्थ रहीं, वे अवरुद्ध हो गईं. उन्होंने प्रिंटिंग प्रेस के खिलाफ धार्मिक नेताओं के प्रतिरोध का उदाहरण दिया, जहाँ यह माना गया कि इससे इस्लाम की सही व्याख्या प्रभावित हो सकती है.

एम. जे. अकबर की टिप्पणी

पत्रकार एम. जे. अकबर ने सूफीवाद को व्यावहारिक बताया, क्योंकि यह शत्रुता के बजाय एक सहायक संबंध को बढ़ावा देता है. उन्होंने यह भी कहा कि आज विश्वभर के मुस्लिम लोकतंत्र में रह रहे हैं, लेकिन उन्हें आधुनिकता और राष्ट्र राज्य को समझने में कठिनाई हो रही है.

अहमत टी. कुरू का दृष्टिकोण

अहमत टी. कुरू ने कहा कि मुस्लिम पिछड़ेपन का समाधान लोकतंत्र में निहित है. सभी समुदायों को समान अधिकारों का सम्मान करते हुए अपने देश के प्रति कर्तव्यों को निभाना चाहिए.

यह भी पढ़िए: ‘यदि आत्ममंथन नहीं करेंगे तो समय और दिशा खो देंगे’, विश्व पुस्तक मेले में बुक लॉन्च के दौरान NSA अजीत डोभाल का संबोधन

  • भारत एक्सप्रेस


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