प्रतीकात्मक तस्वीर.
दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने दिल्ली सरकार और लोक निर्माण विभाग (PWD) को निर्देश दिया है कि वे दिल्ली चिड़ियाघर, मथुरा रोड के पास फुट ओवरब्रिज के निर्माण के लिए अनुरोध करने वाले ज्ञापन पर निर्णय ले.
चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने प्रतिवादियों को एक समय सीमा के भीतर अभ्यावेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है.
पहले क्रॉसिंग को विनियमित कर सकते थे
अधिवक्ता चंदन कुमार सिंह द्वारा दिल्ली चिड़ियाघर बस स्टॉप के पास यातायात संबंधी समस्याओं को उजागर करते हुए याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया है कि पहले इस स्थान पर लाल बत्ती होने से पैदल यात्री क्रॉसिंग को विनियमित करने में मदद मिलती थी, जिससे लोग उच्च यातायात घंटों के दौरान सुरक्षित रूप से सड़क पार कर सकते थे.
हालांकि जब 2023 जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान सिग्नल हटा दिया गया तो पैदल यात्री वाहनों की गति के दौरान सड़क पार करने लगे जिससे सुरक्षा संबंधी चिंताएं पैदा हुई.
रोकथाम इलाज से बेहतर है
याचिकाकर्ता ने इस कहावत पर जोर दिया कि रोकथाम इलाज से बेहतर है. उन्होंने बताया कि रोजाना वकील और कोर्ट के कर्मचारी फुट ओवरब्रिज या अंडरपास की अनुपस्थिति के कारण सड़क पार करके अपनी सुरक्षा को जोखिम में डालने के लिए मजबूर होते हैं. सुरक्षित क्रॉसिंग विकल्पों के आभाव में पैदल यात्रियों के पास व्यस्त सड़क पार करने का जोखिम उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है, जिससे उन्हें दुर्घटनाओं का खतरा रहता है.
कोहरे के कारण दुर्घटनाओं का जोखिम अधिक
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को यह भी बताया कि दिल्ली के निवासी सरकार को भारी टैक्स देते हैं और ऐसे में सुरक्षा जोखिम के सामने वे चुप नहीं रह सकते है. सर्दियों के महीनों में स्थिति और खराब हो जाती है.
खासकर दिसंबर से जनवरी तक जब घने कोहरे के कारण मथुरा रोड पर चिड़ियाघर की लाल बत्ती पर दृश्यता काफी कम हो जाती है. फुट ओवरब्रिज या अंडरपास की अनुपस्थिति में दुर्घटनाओं का जोखिम काफी बढ़ जाता है, जिससे पैदल यात्रियों से जुड़ी दुखद घटना की संभावना बनी रहती है.
-भारत एक्सप्रेस
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