

दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) द्वारा दायर याचिका का निपटारा कर दिया है. सुनवाई के दौरान खेल मंत्रालय की ओर से पेश वकील जयंत मेहता ने अदालत को बताया कि WFI का निलंबन वापस ले लिया गया है और इसकी मान्यता तत्काल प्रभाव से बहाल कर दी गई है. इस जानकारी के बाद मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने सुनवाई समाप्त कर दी.
खेल मंत्रालय की ओर से कोर्ट में यह भी बताया गया कि सरकार ने भारतीय पहलवानों की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में निर्बाध भागीदारी सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी विचार किया है.
WFI ने तदर्थ पैनल को लेकर दी थी चुनौती
WFI ने भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) को महासंघ के मामलों के संचालन के लिए एक तदर्थ पैनल के पुनर्गठन की स्वतंत्रता देने के आदेश को कोर्ट में चुनौती दी थी. इस पर सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि अगर अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं के लिए पहलवानों का चयन करने वाली कोई सक्षम संस्था नहीं होगी, तो यह स्थिति और अधिक दुखदायी होगी.
विश्व कुश्ती संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) ने स्पष्ट किया है कि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में केवल उसी भारतीय संस्था के पहलवानों को भाग लेने की अनुमति दी जाएगी, जिसे UWW की मान्यता प्राप्त हो.
सिंगल बेंच के फैसले को दी गई थी चुनौती
WFI ने हाई कोर्ट की सिंगल बेंच के 16 अगस्त 2024 के अंतरिम आदेश को चुनौती दी थी. इस आदेश में कहा गया था कि IOA द्वारा तदर्थ समिति को भंग करने का निर्णय दिसंबर 2023 में हुए चुनावों के बाद WFI के निलंबन के अनुरूप नहीं था. सिंगल बेंच ने कहा था कि जब तक निलंबन आदेश वापस नहीं लिया जाता, तब तक तदर्थ समिति को महासंघ के मामलों का संचालन करना जरूरी है.
यह आदेश पहलवान बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और उनके पति सत्यव्रत कादियान की ओर से दायर याचिका पर दिया गया था. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि IOA समिति का पुनर्गठन कर सकता है.
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-भारत एक्सप्रेस
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