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यौन अपराधों में बाल पीड़ितों और आरोपियों की जांच को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट सख्त

दिल्ली हाई कोर्ट ने यौन अपराधों में बाल पीड़ितों और आरोपियों की जांच के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है.

Sexual Offences against Children

दिल्ली हाई कोर्ट ने यौन अपराधों में आरोपियों और नाबालिग पीड़ितों की जांच के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस और दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अलावा केंद्रीय गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 28 मार्च को तय की है.

याचिका में क्या मांग की गई है?

ऐश्वर्या सिन्हा सहित याचिकाकर्ताओं ने यौन अपराधों में बाल पीड़ितों और आरोपियों की यौन संचारित रोगों (एसटीडी) और यौन संचारित संक्रमणों (एसटीआई) की जांच के लिए प्रत्येक हितधारक जांच अधिकारी, अस्पताल, बाल कल्याण समितियों – की भूमिका का विवरण देने वाले दिशा-निर्देश तैयार करने और उन्हें लागू करने के निर्देश मांगे.

याचिका में कहा गया है कि इन दिशा-निर्देशों के निर्माण और कार्यान्वयन से एक मजबूत कानूनी ढांचा तैयार होगा, जो बाल पीड़ितों के अधिकारों और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि उन्हें संभावित स्वास्थ्य जटिलताओं को रोकने के लिए समय पर चिकित्सा देखभाल मिले. इसमें कहा गया है कि ये कदम ऐसे बाल पीड़ितों के स्वास्थ्य और कल्याण की रक्षा करेंगे.


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अधिवक्ता काजल दलाल के माध्यम दायर याचिका में कहा कि यौन उत्पीड़न के बाल पीड़ित, जो एसटीआई और एसटीडी के संपर्क में आते हैं, विशेष रूप से एचआईवी/एड्स, हेपेटाइटिस बी और ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) जैसे लाइलाज रोगों के संपर्क में आते हैं, उन्हें पहले 72 घंटों के भीतर चिकित्सा सहायता नहीं मिलती है, यहां तक कि उन मामलों में भी जहां घटना की तुरंत सूचना दी जाती है.



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