
कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम

दिल्ली हाईकोर्ट ने चीनी वीजा और एयरसेल-मैक्सिस मामलों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोप तय करने की प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग वाली कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
यह याचिका विशेष अदालत के 28 मार्च के उस आदेश के खिलाफ दाखिल की गई थी, जिसमें उनके खिलाफ आरोप तय करने की प्रक्रिया को टालने से इनकार कर दिया गया था.
क्या कहा हाईकोर्ट ने?
न्यायमूर्ति रविंद्र डुडेजा ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और कार्ति की ओर से दलीलें सुनने के बाद कहा कि वे जल्द ही आदेश जारी करेंगे.
ईडी ने कार्ति की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत दर्ज मामलों को स्वतंत्र रूप से चलाया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए ईडी ने कहा कि जब तक मूल आपराधिक मामलों (जैसे कि CBI द्वारा दर्ज केस) में आरोपी दोषमुक्त नहीं हो जाता, तब तक PMLA के तहत सुनवाई पर रोक नहीं लग सकती.
कार्ति के वकील का तर्क
कार्ति के वकील ने कोर्ट से कहा कि जब तक चीनी वीजा और एयरसेल-मैक्सिस मामलों में सीबीआई की ओर से आरोप तय नहीं हो जाते, तब तक धन शोधन के मामले में निचली अदालत में बहस नहीं होनी चाहिए.
क्या हैं मामले?
चीनी वीजा मामला: ईडी ने आरोप लगाया है कि 2011 में पी. चिदंबरम के गृह मंत्री रहने के दौरान 263 चीनी नागरिकों को अवैध रूप से वीजा जारी किए गए. यह मामला सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू हुआ था.
एयरसेल-मैक्सिस डील मामला: यह 2006 की एक डील से जुड़ा है, जब पी. चिदंबरम वित्त मंत्री थे. आरोप है कि उन्होंने विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (FIPB) से गलत तरीके से मंजूरी दिलाई.
अब हाईकोर्ट यह तय करेगा कि क्या निचली अदालत को इन मामलों में सुनवाई शुरू करनी चाहिए या नहीं.
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-भारत एक्सप्रेस
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