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दिल्ली हाई कोर्ट की नसीहत: जांच अधिकारियों की विश्वसनीयता को कमजोर करने वाली टिप्पणियों से बचें

दिल्ली हाई कोर्ट ने निचली अदालतों को निर्देश दिया है कि वे जांच अधिकारियों की प्रतिष्ठा को प्रभावित करने वाली तीखी और अपमानजनक टिप्पणियों से बचें.

delhi high court

दिल्ली हाईकोर्ट.

दिल्ली हाई कोर्ट ने निचली अदालतों को सख्त हिदायत दी है कि वे जांच अधिकारियों की प्रतिष्ठा को प्रभावित करने वाली तीखी और अपमानजनक टिप्पणियों से बचें. न्यायमूर्ति अमित महाजन ने कहा कि इस तरह की टिप्पणियां पुलिस अधिकारियों के करियर और प्रतिष्ठा पर गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं.

न्यायमूर्ति महाजन ने कई याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की और निचली अदालत द्वारा की गई आलोचनात्मक टिप्पणियों को हटाने का आदेश दिया. उन्होंने कहा कि न्यायिक अधिकारी जांच में की गई चूकों या गलतियों को इंगित कर सकते हैं, लेकिन आलोचना करते समय भाषा की मर्यादा बनाए रखनी चाहिए.

जमानत याचिका पर विचार करते समय मर्यादा जरूरी

न्यायमूर्ति महाजन ने स्पष्ट किया कि जमानत याचिका पर विचार करते समय निचली अदालत को सख्त टिप्पणियां करने से बचना चाहिए. उन्होंने कहा कि अदालत का अधिकार क्षेत्र केवल आरोपी की जमानत याचिका को स्वीकार या अस्वीकार करने तक सीमित है. इसलिए, अनावश्यक आलोचना या तीखी टिप्पणियां करने से न्यायिक गरिमा प्रभावित हो सकती है.

कोर्ट ने कहा कि अदालती आदेशों का दूरगामी प्रभाव होता है, और किसी भी आदेश में प्रयुक्त शब्द रिकॉर्ड का स्थायी हिस्सा बन जाते हैं. ऐसे में किसी भी अधिकारी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाली टिप्पणियां नहीं की जानी चाहिए.

निचली अदालत की नाराजगी बेवजह नहीं

कोर्ट ने विवादित आदेशों का विश्लेषण करते हुए पाया कि जांच एजेंसी की कार्यप्रणाली में कई खामियां थीं. आदेशों से यह स्पष्ट होता है कि बार-बार निर्देश देने के बावजूद केस की संपत्ति और फोटोग्राफ पेश नहीं किए गए थे. हालांकि, निचली अदालत की नाराजगी को पूरी तरह अनुचित नहीं कहा जा सकता, लेकिन इसे व्यक्त करने के लिए अपमानजनक भाषा का प्रयोग नहीं होना चाहिए था.

हाई कोर्ट ने कहा कि यदि निचली अदालत को जांच प्रक्रिया में खामियां दिखती हैं, तो वह इस पर टिप्पणी कर सकती है. लेकिन पुलिस आयुक्त को अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश देना और कारण बताओ नोटिस जारी करना उचित नहीं है. न्यायमूर्ति महाजन ने स्पष्ट किया कि जांच प्रक्रिया में सुधार की जरूरत हो सकती है, लेकिन इसके लिए अनुचित भाषा का प्रयोग स्वीकार्य नहीं है.


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-भारत एक्सप्रेस



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