
जस्टिस यसवंत वर्मा. (फाइल फोटो)
रिपोर्ट और अन्य सभी दस्तावेज 25 पृष्ठों की है. सीजेआई संजीव खन्ना ने 21 मार्च को दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से तीन सवालों पर जस्टिस वर्मा से जवाब मांगने को कहा. इसमें पहला सवाल है कि वह (जस्टिस यसवंत वर्मा) अपने परिसर में स्थित कमरे में पैसे/नकदी की मौजूदगी का कैसे हिसाब देते है. दूसरा उक्त कमरे में मिले पैसे/नकदी के स्रोत की व्याख्या करें. तीसरा सवाल यह है कि वह व्यक्ति कौन है, जिसने 15 मार्च 2025 की सुबह कमरे से जले हुए पैसे/नकदी को निकाला था?
दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय को दिए अपने विस्तृत जवाब में जस्टिस वर्मा ने कहा कि 14 मार्च की रात होली के दिन उनके सरकारी आवास के स्टाफ क्वाटर के पास स्थित स्टोररूम में आग लगी थी.
#WATCH | The Supreme Court released the inquiry report filed by Delhi High Court Chief Justice Devendra Kumar Upadhyaya into the controversy relating to High Court Justice Yashwant Varma. In his report, the Delhi High Court Chief Justice said that he is of the prima facie opinion… pic.twitter.com/1xgMh8xWNW
— ANI (@ANI) March 22, 2025
उन्होंने कहा कि यह कमरा आम तौर पर उनके सभी कर्मचारी पुराने फर्नीचर, बोतलें, क्रॉकरी, गद्दे, इस्तेमाल किए हुए कालीन, पुराने स्पीकर, बागवानी के उपकरण और सीपीडब्ल्यूडी का सामान रखने के लिए इस्तेमाल करते थे. यह कमरा अनलॉक रहता था और इसके दोनों ओर प्रवेश किया जा सकता है था, एक आधिकारिक गेट से और दूसरा स्टॉफ क्वाटर के पिछले दरवाजे से 14 मार्च की रात जज के पीएस ने पीसीआर को आग लगने की सूचना दी. फायर ब्रिगेड को अलग से कॉल नहीं किया गया.
पुलिस जांच और हाई कोर्ट चीफ जस्टिस की रिपोर्ट
दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने 15 मार्च की सुबह मामले की जानकारी दी. हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तब लखनऊ में थे. पुलिस कमिश्नर ने अधजले कैश की तस्वीरें और वीडियो भी हाई कोर्ट चीफ जस्टिस को भेजी.
कमिश्नर ने बाद में दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को यह भी बताया कि जज के बंगले के एक सिक्युरिटी गार्ड ने उन्हें बताया कि 15 मार्च को कमरे से मलबा साफ किया गया है. जब दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने जस्टिस वर्मा से मुलाकात की तो जस्टिस वर्मा ने किसी कैश की जानकारी होने से इनकार किया. यह भी कहा कि वह कमरा सब इस्तेमाल करते हैं. दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने उन्हें वीडियो दिखाया तो उन्होंने इसे साजिश बताया. दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य जस्टिस ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को भेजी चिठ्ठी में गहराई से जांच की जरूरत बताई है.
सीजेआई के निर्देश पर जस्टिस वर्मा का 6 महीने कॉल से यह भी कहा गया है कि वह अपने फोन को डिस्पोज न करें न ही चैट मिटाए. संजीव खन्ना ने आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है. इस समिति में पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जी एस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट के न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल है.
सीजेआई ने दिल्ली हाई कोर्ट से हाई कोर्ट रजिस्ट्री के आधिकारिक कर्मचारियों, निजी सुरक्षा अधिकारियों और पिछले छह महीने के दौरान जस्टिस वर्मा के आवास पर तैनात सुरक्षा गार्डों का विवरण पता लगाने के लिए भी कहा है.
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-भारत एक्सप्रेस
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