
दिल्ली दंगा मामला
कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगे के एक मामले में एक ऑटो चालक की हत्या के आरोपी 11 मुस्लिम समुदाय के लोगों को आरोपमुक्त कर दिया और हिंदू समुदाय के आठ आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए हैं. कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमांचला ने कहा कि मृतक की पिटाई में मुस्लिम समुदाय की भीड़ की कोई भूमिका नहीं थी, बल्कि वे इस पीड़ित के हमदर्द थे.
न्यायाधीश ने यह कहते हुए गवाहों के बयान और घटना के वीडियो को देखने के बाद मुस्लिम समुदाय के रिजवान, इसरार, तैयब, इकबाल, जुबेर, मारूफ, शमीम, आदिल, सहाबुद्दीन, फरमान और इमरान को आरोपमुक्त कर दिया. साथ ही हिंदू समुदाय के राहुल, संदीप, हरजीत सिंह, कुलदीप, भारत भूषण, धम्रेद्र, सचिन गुप्ता व सचिन रस्तोगी के खिलाफ हत्या के आरोप तय किए हैं. मृतक के भाई की शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई थी. उसमें आरोप लगाया गया था कि मृतक काम से लौट रहा था और खजूरी चौक पर पहुंचा तो वहां भीड़ ने पथराव किया, उससे ऑटो चालक बब्बू को गंभीर चोटें आई और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया. बब्बू की इलाज के दौरान मौत हो गई.
कोर्ट ने कहा – मुस्लिम भीड़ हमलावर नहीं, बल्कि हमदर्द थी
अदालत ने पाया कि गवाहों के बयान और घटना के वीडियो से पता चलता है कि पीड़ित बब्बू की पिटाई में मुस्लिम समुदाय के लोगों की भीड़ के सदस्यों की कोई भूमिका नहीं थी. जब उस लड़के पर हमला करने वाले लोग उसे घायल अवस्था में सड़क पर छोड़ गए तो प्रतिद्वंद्वी भीड़ के लोग उस लड़के के पास आए और उन्होंने उसे उस जगह से उठा लिया. इसलिए यह कल्पना नहीं की जा सकती कि पीड़ित यानी बब्बू पर हमला करना मुस्लिम समुदाय के लोगों की भीड़ का उद्देश्य था.
अन्य आठ आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि उनकी पहचान करने वाले कई गवाहों के बयान में कहा गया है कि वे बब्बू की पिटाई की घटना में शामिल थे. इस तरह से बब्बू की मौत उक्त आरोपियों की पिटाई से हुई थी.
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-भारत एक्सप्रेस
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