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Delhi riots

दिल्ली दंगे के दौरान पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल की हत्या के दो आरोपी मोहम्मद जलालुद्दीन व मोहम्मद वसीम को दिल्ली हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है. यह जमानत दयालपुर थाने में दर्ज एफआईआर 60/2020 में दी गई है.

शरजील इमाम पर देशद्रोह और UAPA के तहत मामला चल रहा है. वह 2019- 20 में CAA विरोधी आंदोलन के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों के मामले में जमानत की मांग कर रहे हैं.

जेएनयू का स्टूडेंट रहा उमर खालिद 2020 के दिल्ली दंगों की "साजिश" मामले में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत सितंबर 2020 से जेल में बंद है.

मोहम्मद मुनाजिर नाम के शख्‍स की शिकायत पर दिल्‍ली निवासी मिट्ठन सिंह और जोनी कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. उसने इन पर मस्जिद और अपने घर में आग लगाने का आरोप लगाया था.

सुनवाई के दौरान कलिता के वकील ने तर्क रखा कि याचिकाकर्ता अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए वीडियो और चैट सहित दस्तावेज मांग रही थी. वकील ने कहा कि वीडियो जो उसके पक्ष में था और उसकी बेगुनाही को दर्शाता है.

एक दिन पहले ही दिल्ली हाई कोर्ट ने फैजान की मां की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सीबीआई जांच का आदेश दिया था. फैजान की मां ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर फैजान की मौत की जांच एसआईटी से कराने की मांग की थी.

जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद को 2020 के दिल्ली दंगों के पीछे कथित बड़ी साजिश के मामले में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया गया था.

न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने इस मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो से संबंधित है.

अदालत ने कहा कि इसमें उनकी भूमिका दूरस्थ प्रकृति की है और वह पहले ही तीन साल से अधिक का समय हिरासत में बिता चुके हैं.

कोर्ट ने इस हत्या में ताहिर हुसैन की भूमिका को अहम माना है. कोर्ट ने आरोप तय करते हुए कहा था कि ताहिर हुसैन, भीड़ की निगरानी और उसे भड़काने के मामले में लगातार काम के रहे थे.