
राजधानी दिल्ली स्थित राऊज एवेन्यू कोर्ट

Digital Courts in Delhi: दिल्ली में 34 डिजिटल अदालतों को राऊज एवेन्यु कोर्ट परिसर में स्थानांतरित करने के फैसले का वकीलों ने जोरदार विरोध शुरू कर दिया है. इस विरोध के तहत दिल्ली की सभी निचली अदालतों के वकील 9 जून को हड़ताल पर रहेंगे.
इन अदालतों में नौ द्वारका, सात तीस हजारी, छह साकेत, पांच कड़कड़डूमा, चार रोहिणी और तीन पटियाला हाउस कोर्ट से संबंधित हैं, जबकि पटियाला हाउस की पॉक्सो कोर्ट भी स्थानांतरित की गई है. ये सभी अदालतें राऊज एवेन्यु की सातवीं मंजिल पर संचालित होंगी.
ट्रांसफर का फैसला और वकीलों की नाराजगी
दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार, अदालत कर्मचारी अपने मूल जिला कोर्ट से काम करेंगे, लेकिन न्यायाधीशों को राऊज एवेन्यु में बैठना होगा. कॉर्डिनेशन कमेटी के दीपक त्यागी ने कहा कि पटियाला हाउस में सभी सुविधाएं मौजूद थीं, फिर भी यह फैसला लिया गया. उन्होंने हड़ताल को मजबूरी बताया. नई दिल्ली बार एसोसिएशन के जॉइंट सेक्रेटरी अंकुर त्यागी ने मांग की कि कोर्ट को मूल स्थान पर वापस लाया जाए और फैसले से पहले बार से सलाह ली जाए.
पूर्व उपाध्यक्ष राहुल सिंह ने चेतावनी दी कि यह कदम वकीलों के लिए मुश्किलें बढ़ाएगा, क्योंकि उन्हें राऊज एवेन्यु जाना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे सारा काम वहां शिफ्ट हो सकता है. निचली अदालत के वकील पुलकित सिंह ने तर्क दिया कि पुराने स्थानों पर काम सुचारू था, इसलिए ट्रांसफर जरूरी नहीं था. वकीलों का कहना है कि यह फैसला एकतरफा है और उनकी राय नहीं ली गई.
डिजिटल अदालतों का उद्घाटन और उद्देश्य
हाल ही में मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने राऊज एवेन्यु में इन 34 डिजिटल अदालतों का उद्घाटन किया, जो विशेष रूप से एनआई अधिनियम (Negotiable Instruments Act) से संबंधित मामलों की सुनवाई करेंगी. उन्होंने प्रौद्योगिकी के उपयोग और बुनियादी सुविधाओं की सराहना की, साथ ही न्यायिक अधिकारियों से जनहित में काम करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि शक्ति के अहसास से न्याय प्रभावित हो सकता है.
9 जून की हड़ताल से अदालती कार्यवाही प्रभावित होने की संभावना है. वकील इस मुद्दे पर सरकार और हाई कोर्ट से बातचीत की मांग कर रहे हैं. यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन और तेज हो सकता है. यह मामला न केवल वकीलों के लिए, बल्कि आम जनता के लिए भी चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि इससे मामलों की सुनवाई में देरी हो सकती है.
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