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विवाह के अनिवार्य पंजीकरण पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी, दिल्ली हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी

दिल्ली हाई कोर्ट ने विवाह के अनिवार्य पंजीकरण पर सुप्रीम कोर्ट के 2006 के आदेश के पालन न होने को दयनीय और भयावह बताया. कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को तीन महीने में आदेश लागू करने का निर्देश दिया.

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Prashant Rai Edited by Prashant Rai

दिल्ली हाई कोर्ट ने तीन महीने में विवाह के अनिवार्य पंजीकरण संबंधी सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2006 के आदेश का पालन नहीं करने को दयनीय व भयावह बताया. चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि उक्त आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने आस्था की परवाह किए बिना सभी विवाहों को अनिवार्य रूप से पंजीकृत करने के लिए कहा था. अदालत ने सवाल किया कि आप सुप्रीम कोर्ट के आदेश को कैसे लागू नहीं कर रहे हैं.

अदालत ने उस आदेश को लागू करने के लिए तीन महीने का समय दिया है. साथ ही केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार से अगली सुनवाई से पहले जवाब दाखिल करने को कहा है. कोर्ट 9 जुलाई को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा.

मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि उसने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप नियम बनाए हैं. कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार एक अधिनियम बनाना होगा. अदालत ने कहा कि यह वह चीज है जो अदालत में आनी चाहिए.

कोर्ट ने यह टिप्पणी व निर्देश विवाह पंजीकरण के केन्द्रकृत डेटाबेस के लिए नियम तैयार करने के लिए गृह मंत्रालय को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर दिया है. साथ ही केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2006 में कहा था कि सभी विवाह, चाहे वे किसी भी धर्म के हों, अनिवार्य रूप से पंजीकृत किए जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही केंद्र सरकार, सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को तीन महीने के भीतर इसके लिए नियम बनाने और अधिसूचित करने का निर्देश दिया था.


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-भारत एक्सप्रेस



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