प्रतीकात्मक फोटो
जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को जामा मस्जिद और इसके आसपास सर्वे निरीक्षण करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने इस सर्वेक्षण के उद्देश्य और जामा मस्जिद के प्रबंधन में वक़्फ बोर्ड की भूमिका पर भी स्पष्टीकरण मांगा है.
कोर्ट 11 दिसंबर को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. हाई कोर्ट ने एएसआई से यह भी स्पष्ट करने को कहा कि जामा मस्जिद अभी तक एएसआई के अधीन क्यों नही थी. एएसआई द्वारा दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने के कई महत्वपूर्ण प्रभाव होंगे.
जामा मस्जिद के मरम्मत पर लगभग 61 लाख रुपये खर्च
इस निर्णय के बाद 100 मीटर में भीतर निर्माण कार्य निषिद्ध हो जाएगा, जबकि 200 मीटर के अतिरिक्त क्षेत्र में निर्माण पर कड़े नियम लागू होंगे. मामले की सुनवाई के दौरान एएसआई ने कोर्ट को यह भी बताया कि संरक्षित स्मारक घोषित किए बिना ही उन्होंने 2097 से 2021 के बीच जामा मस्जिद के संरक्षण और मरम्मत पर लगभग 61 लाख रुपये खर्च किए है.
किन उद्देश्य के लिए हो रहा है मस्जिद परिसर का उपयोग
न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ एएसआई को जामा मस्जिद का कोई स्कैच या टेबल रिकार्ड पर पेश कर यह बताने को कहा है कि मस्जिद परिसर का उपयोग किन उद्देश्य के लिए हो रहा है. कोर्ट ने यह भी बताने को कहा है कि राजस्व और दान का उपयोग किस तरह से किया जा रहा है. साथ ही कोर्ट ने दिल्ली वक्फ बोर्ड को यह बताने के लिए कहा है कि क्या जामा मस्जिद की प्रबंध समिति के संविधान में कोई परिवर्तन किया गया है या नही. अदालत ने बोर्ड को जामा मस्जिद व इसके आसपास के संरक्षण या सुरक्षा के लिए सुझाव व प्रस्ताव भी पेश करने को कहा है.
-भारत एक्सप्रेस
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