

देश में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर जबरदस्त भावनात्मक जुड़ाव और सम्मान देखा जा रहा है, लेकिन इसके साथ ही इस नाम को ट्रेडमार्क कराने की होड़ ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है. अब इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर को किसी भी प्रकार के व्यावसायिक उपयोग से रोकने की मांग की गई है.
यह याचिका देव आशीष दुबे नामक याचिकाकर्ता ने दाखिल की है, जिन्होंने चार व्यक्तियों द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम से ट्रेडमार्क क्लास 41 (जो शिक्षा और मनोरंजन सेवाओं से जुड़ा होता है) में किए गए टीएम-1 आवेदन को चुनौती दी है.
याचिका में क्या कहा गया?
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से गुहार लगाई है कि “ऑपरेशन सिंदूर” शब्द को राष्ट्रीय बलिदान, वीरता और जनभावनाओं का प्रतीक माना जाए. याचिका में कहा गया है कि यह नाम हाल ही में 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में शोक और आक्रोश का प्रतीक बन गया है. ऐसे में इसका कोई भी व्यावसायिक उपयोग न केवल सैनिकों के बलिदान का अपमान है, बल्कि देश की सामूहिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ भी है.
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने लिया कदम पीछे
इस बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, जिसने सबसे पहले “ऑपरेशन सिंदूर” नाम से ट्रेडमार्क आवेदन किया था, उसने अपना आवेदन तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया है. कंपनी ने साफ किया कि यह आवेदन एक जूनियर कर्मचारी द्वारा गलती से बिना अनुमति के किया गया था. अपने आधिकारिक बयान में रिलायंस ने कहा,
“ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सशस्त्र बलों की बहादुरी और पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का प्रतीक है. इस शब्द को ट्रेडमार्क कराने का हमारा कोई इरादा नहीं था.”
रिलायंस के अलावा इस ट्रेडमार्क को हासिल करने की दौड़ में मुंबई निवासी मुकेश चेतराम अग्रवाल, रिटायर्ड ग्रुप कैप्टन कमल सिंह ओबरॉय, और दिल्ली के वकील आलोक कोठारी जैसे कई अन्य लोग भी शामिल हैं.
क्या है ट्रेडमार्क क्लास 41?
क्लास 41 ट्रेडमार्क शैक्षणिक और मनोरंजन सेवाओं को कवर करता है, जिसमें मीडिया, फिल्म, टीवी शो, ऑनलाइन एजुकेशन आदि आते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम को इस श्रेणी में पंजीकृत कर इससे ब्रांडिंग, डॉक्युमेंट्री, सीरीज या कंटेंट प्लेटफॉर्म पर व्यावसायिक लाभ उठाया जा सकता है.
कानूनी जानकारों का मानना है कि यदि सुप्रीम कोर्ट इस शब्द को राष्ट्रीय भावना से जुड़ा मानकर इसके व्यावसायिक पंजीकरण पर रोक लगाता है, तो यह एक ऐतिहासिक मिसाल बन सकती है, जिससे भविष्य में ऐसे कई नामों के दुरुपयोग को रोका जा सकेगा.
-भारत एक्सप्रेस
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