
सुप्रीम कोर्ट धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की वैधता को बरकरार रखने के कोर्ट के 2022 के फैसले पर दायर पुनर्विचार याचिका पर 6 अगस्त को सुनवाई करेगा. कोर्ट ने यह भी कहा कि जरूरत पड़ी तो 7 अगस्त को भी सुनवाई होगी. मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की गिरफ्तारी और संपत्ति कुर्क करने की शक्तियों को बरकरार रखा गया था.
कोर्ट ने ईडी की शक्तियों को रखा बरकरार
जुलाई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने धन शोधन में शामिल लोगों की गिरफ्तारी और संपत्ति कुर्क करने, तलाशी लेने और जब्त करने की ईडी की शक्तियों को बरकरार रखा. उस वर्ष अगस्त में शीर्ष अदालत अपने फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के सहमत हो गया था और कहा था कि दो पहलुओं -प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) प्रदान नहीं करना और निर्दोषता की धारणा को उलटना-पर प्रथम दृष्टया पुनर्विचार की आवश्यकता है.
ईडी एक बेलगाम घोड़ा बन गया है-कोर्ट
केंद्र सरकार की ओर से बताया गया था कि धन शोधन निवारण अधिनियम देश के लिए एक महत्वपूर्ण कानून है. वही याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि ईडी एक बेलगाम घोड़ा बन गया है और जहां चाहे वहां जा सकता है. याचिकाकर्ता ने कहा था कि 2021 से अब तक पीएमएलए के तहत अभी तक सिर्फ 9 लोगों को दोषी करार दिया गया है. 1700 रेड हुए हैं और1569 मामले में छानबीन हुई है. पीएमएलए के तमाम प्रावधानों में खामियां है.
याचिका में कही गई ये बात
याचीका ने कहा कि मामले की छानबीन की शुरुआत और समन कब हो इसके लिए प्रावधान में कमी है. ECIR की कॉपी आरोपी को गिरफ्तारी के वक्त शेयर नहीं कि जाती है और आरोपी को पता नहीं होता है कि उनके खिलाफ गिरफ्तारी के लिए पता नहीं होता है कि उनके खिलाफ गिरफ्तारी के लिए क्या मैटेरियल एजेंसी के पास है. सीआरपीसी की धारा 157 के तहत मैजिस्ट्रेट को भी पता नही होता है कि गिरफ्तारी क्यों हुई है.
कोर्ट ने 27 जुलाई 2022 को दिया था फैसला
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 27 जुलाई 2022 को फैसला दिया था. कोर्ट ने ईडी की गिरफ्तारी, संपत्ति अटैचमेंट और सीज करने के अधिकार को पीएमएलए के तहत वैध करार दिया है. कोर्ट ने पीएमएलए की धारा-5, 8(4),15, 17, 19, 45 और 50 को वैध करार दिया था. इसके तहत ईडी को अधिकार है कि वह संपत्ति मो अटैच कर सके, आरोपी की गिरफ्तारी कर सके, सर्च कर सके और अवैध संपत्ति को सीज कर सके.
धारा-45 के तहत जमानत की कड़ी शर्त वाले प्रावधान सही है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि धारा-45 के तहत जमानत की कड़ी शर्त वाले प्रावधान सही है. जमानत के लिए ट्विन टेस्ट के कड़े प्रावधान बरकरार है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि आरोपी की गिरफ्तारी के वक्त उसे ECIR देने की अनिवार्यता नहीं है और साथ ही आरोपी पर निर्दोष साबित करने का दबाव डाले जाने के प्रावधान को दोबारा देखने की जरूरत है.
ईडी के तमाम एक्शन में पारदर्शिता दिखनी चाहिए-कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ईडी को आरोपी की गिरफ्तारी के समय लिखित में गिरफ्तारी का आधार बताना चाहिए. ईडी के तमाम एक्शन में पारदर्शिता दिखनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ईडी के समन के बावजूद उसे सहयोग न करना गिरफ्तारी का आधार नही हो सकता है. ईडी यह उम्मीद नही पाल सकती है कि जिस आरोपी को समन जारी किया गया है वह अपने गुनाह को कबूल कर ले.
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