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1984 सिख दंगा मामले में आरोपी कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार पर Rouse Avenue Court का फैसला सुरक्षित, 29 नवंबर को सुनाया जाएगा

कोर्ट ने शिकायतकर्ता की वकील कामना वोहरा को दो दिन के भीतर लिखित दलीलें दाखिल करने का निर्देश दिया है. सज्जन की और से पेश अधिवक्ता अनिल शर्मा ने कहा कि सज्जन कुमार का नाम लेने में 16 साल की देरी हुई.

सज्जन कुमार (फाइल फोटो)

1984 सिख दंगा (1984 Sikh Riot) मामले में आरोपी कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार (Sajjan Kumar) के मामले में राऊज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट 29 नवंबर को अपना फैसला सुनायेगा. यह मामला 1 नवंबर, 1984 को सरस्वती विहार इलाके में जसवंत सिंह और उसके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या से जुड़ा है. विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने सज्जन कुमार की ओर से अधिवक्ता अनिल शर्मा और अतिरिक्त लोक अभियोजक मनीष रावत की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया.

सज्जन कुमार का नाम लेने में 16 साल की देरी हुई

कोर्ट ने शिकायतकर्ता की वकील कामना वोहरा को दो दिन के भीतर लिखित दलीलें दाखिल करने का निर्देश दिया है. सज्जन की और से पेश अधिवक्ता अनिल शर्मा ने कहा कि सज्जन कुमार का नाम शुरू से ही नहीं था. गवाह द्वारा सज्जन कुमार का नाम लेने में 16 साल की देरी हुई. उन्होंने कहा जिस मामले में सज्जन कुमार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने दोषी ठहराया था, सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष अपील लंबित है.

अतिरिक्त लोक अभियोजक मनीष रावत ने तर्क दिया कि आरोपी को पीड़िता नहीं जानती थी. जब उसे पता चला कि सज्जन कुमार कौन है, तो उसने अपने बयान में उसका नाम लिया. पिछली तारीख पर वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फुल्का दंगा पीड़ितों के लिए पेश हुए और तर्क दिया कि सिख दंगों के मामलों में पुलिस जांच में हेराफेरी की गई थी. पुलिस जांच धीमी थी और आरोपियों को बचाने के लिए थी.


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वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फुल्का ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि यह कोई अलग मामला नहीं है, यह भारत में बड़े नरसंहार का हिस्सा है. आगे तर्क दिया गया कि आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 1984 में दिल्ली में 2700 सिख मारे गए थे. यह एक सामान्य स्थिति थी.

हमेशा अल्पसंख्यक निशाना बनते हैं

वरिष्ठ अधिवक्ता फुल्का ने 1984 के दिल्ली कैंट मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का हवाला दिया था, जिसमें अदालत ने दंगों को मानवता के खिलाफ अपराध बताया था. यह भी कहा गया था कि नरसंहार का उद्देश्य हमेशा अल्पसंख्यकों को निशाना बनाना होता है. हालांकि, इसमें देरी हुई. उन्होंने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को गंभीरता से लिया कि इसमें देरी हुई और एसआईटी गठित की गई. उन्होंने यह भी कहा कि सज्जन कुमार के खिलाफ 1992 में चार्जशीट तैयार की गई थी, लेकिन उसे कोर्ट में दाखिल नहीं किया गया. इससे पता चलता है कि पुलिस सज्जन कुमार को बचाने की कोशिश कर रही थी.

2021 में अदालत ने आरोप तय किए

1 नवंबर 2023 को कोर्ट ने सज्जन कुमार का बयान दर्ज किया था. उन्होंने अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों से इनकार किया था. 16 दिसंबर 2021 को अदालत ने आरोपी सज्जन कुमार के खिलाफ धारा 147/148/149, 302/308/323/395/397/427/436/440 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए आरोप तय किए. एसआईटी द्वारा आरोप लगाया गया है कि आरोपी उक्त भीड़ का नेतृत्व कर रहा था और उसके उकसाने पर भीड़ ने उपरोक्त दो व्यक्तियों को जिंदा जला दिया था. भीड़ ने उनके घरेलू सामान और अन्य संपत्ति को भी बर्बाद कर लूट लिया था.

-भारत एक्सप्रेस



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