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दहेज मामलों में सख्ती: मायके में आत्महत्या को भी माना जा सकता है दहेज हत्या- दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि आत्महत्या का स्थान मायने नहीं रखता, यदि उत्पीड़न विवाह के चलते हुआ है तो मामला दहेज हत्या का बनता है. कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह दहेज उत्पीड़न का गंभीर मामला है.

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दहेज हत्या से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता कि महिला ने जहां आत्महत्या की है, वह मायका है या ससुराल. एक उत्पीड़ित महिला जहां पर आत्महत्या करने के लिए मजबूर होती है, उस स्थान का कोई महत्व नहीं होता है. प्रावधान के तहत विवाह व उसकी निरंतरता को ध्यान में रखना होगा, न कि उस स्थान को जहां महिला आत्महत्या करने से पहले चली जाती है.

जस्टिस गिरीश कथपालिया ने यह टिप्पणी करते हुए दहेज गत्या में मामले में एक व्यक्ति की ओर से दायर जमानत याचिका को खारिज करते हुए उसे, रिहा करने से इनकार कर दिया है. उस आरोपी के खिलाफ पत्नी की आत्महत्या के बाद ससुरालवालों की शिकायत गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया था.

आरोपी ने कहा था कि उसकी पत्नी ने मायके में आत्महत्या की हैं. इसलिए उसके खिलाफ आरोप नहीं बनता है. उसे जमानत पर रिहा कर दिया जाए. जस्टिस के उसकी इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि महिला ने भले ही अपने मायके में आत्महत्या की है, लेकिन वह इस बात से सहमत नही है कि यह मामला दहेज हत्या का नहीं है.

पुलिस के अनुसार दोनों की 22 फरवरी 2023 को शादी हुई थी. तभी से महिला ने अपने पति व ससुराल वालों के खिलाफ दहेज के लिए परेशान करने का आरोप लगाना शुरू कर दिया. महिला कुछ दिनों के बाद अपने मायके लौट आई थी और फोन के जरिए अपने पति के संपर्क में थी. उसके बाद महिला के 26 अप्रैल 2023 को आत्महत्या कर ली थी.

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-भारत एक्सप्रेस 



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