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दिल्ली हाई कोर्ट ने मकोका आरोपी को 8 साल बाद दी जमानत, त्वरित सुनवाई को बताया मौलिक अधिकार

दिल्ली हाई कोर्ट ने मकोका के तहत गिरफ्तार आरोपी अरुण को 8 साल जेल में बिताने और सुनवाई में देरी के चलते जमानत दी. कोर्ट ने कहा कि त्वरित सुनवाई का अधिकार व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अहम हिस्सा है और इससे समझौता नहीं किया जा सकता.

Delhi High Court

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि त्वरित सुनवाई के अधिकार व्यक्तिगत स्वतंत्रता का एक अहम पहलू है. उसे मकोका से जुड़े गंभीर मामलों में भी कमतर नहीं किया जा सकता है. जस्टिस संजीव नरूला ने यह टिप्पणी करते हुए एक आपराधिक गिरोह के कथित सदस्य अरुण को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है.

अदालत ने कहा कि महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत दर्ज मामले में आठ सालों से जेल में है. इस मामले की सुनवाई को पूरी होने में काफी समय लगेगा. उन्होंने कहा कि हमारे संवैधानिक न्यायशास्त्र में समाहित त्वरित सुनवाई के अधिकार बचाव का कोई गुप्त हथियार नहीं है.

वस्तु स्थिति रिपोर्ट के अनुसार 60 गवाहों में से अब तक 35 का ही बयान दर्ज किया गया है. इतने लंबे समय तक उसके जेल में रहने से उसके मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है. इस दशा में उसे 50 हजार रुपये की निजी मुचलके पर कुछ शर्तों के साथ नियमित जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया जाता है.

आरोपी अरुण को जून 2016 में मनोज मोरखेड़ी गिरोह का सदस्य होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. यह गिरोह मुख्य रूप से दिल्ली-एनसीआर और उसके आसपास के राज्यों में सक्रिय एक संगठित आपराधिक गिरोह है. इस गिरोह पर हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, जबरन वसूली और डकैती सहित अन्य गंभीर मामलों में शामिल होने का संदेह है.

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-भारत एक्सप्रेस 



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