
ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर 3 मार्च तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश देते हुए कहा कि अगली सुनवाई 3 मार्च को होगी.
यह मामला एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) द्वारा दायर याचिका से जुड़ा है, जिसमें ईवीएम की जली हुई मेमोरी और माइक्रोकंट्रोलर की जांच को चुनाव आयोग की मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) में शामिल करने की मांग की गई है.
चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर सवाल
एडीआर की याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयोग द्वारा 1 जून 2024 और 16 जुलाई 2024 को जारी की गई प्रशासनिक और तकनीकी एसओपी में ईवीएम की जली हुई मेमोरी, माइक्रोकंट्रोलर और सिंबल लोडिंग यूनिट की जांच के लिए पर्याप्त दिशा-निर्देश नहीं हैं.
याचिका में तर्क दिया गया है कि ईवीएम की पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए इन पहलुओं की जांच अनिवार्य है. एडीआर का मानना है कि बिना इन जांच प्रक्रियाओं के चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठ सकते हैं.
हरियाणा के पूर्व विधायक की याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के पांच बार विधायक रहे करण सिंह दलाल की याचिका खारिज कर दी. उन्होंने चुनाव आयोग से यह निर्देश देने की मांग की थी कि ईवीएम के चार घटकों जैसे कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट, वीवीपीएटी और सिंबल लोडिंग यूनिट की मेमोरी और माइक्रोकंट्रोलर की जांच की जाए.
करण सिंह दलाल ने याचिका में दलील दी थी कि ईवीएम की जांच से संबंधित मौजूदा प्रक्रिया अपर्याप्त है और यह सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के फैसलों के अनुरूप नहीं है. उनका कहना था कि यह मुद्दा देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया और विभिन्न राज्यों में होने वाले चुनावों को प्रभावित करता है, इसलिए इस पर तत्काल फैसला होना जरूरी है.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और कहा कि चुनाव आयोग की प्रक्रिया को चुनौती देने के लिए मजबूत आधार आवश्यक है.
-भारत एक्सप्रेस
इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.