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70 वकीलों को वरिष्ठ वकील बनाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताई, संशोधन का दिया निर्देश

दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा 12 महिलाओं सहित 70 वकीलों को वरिष्ठ वकील के रूप में नामित करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिका में लगाये गए आरोपों पर आपत्ति जताई है.

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट. (फाइल फोटो)

दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा 12 महिलाओं सहित 70 वकीलों को वरिष्ठ वकील के रूप में नामित करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिका में लगाये गए आरोपों पर आपत्ति जताई है. कोर्ट ने पूछा कि क्या जजों के बच्चों को सीनियर वकील बनाया गया है. कोर्ट ने भाई-भतीजावाद के दावे पर याचिकाकर्ता को फटकार भी लगाई है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को याचिका में संशोधन करने को कहा है.

जजों के रिश्तेदारों को वकील बनाया

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि आप ऐसे कितने जजों के नाम बता सकते है जिनके बच्चे को वरिष्ठ वकील बनाया गया है. कोर्ट ने कहा कि याचिका में लगाए गए आरोप को अगर नहीं हटाया गया तो फिर याचिकाकर्ता के खिलाफ कोर्ट कार्रवाई करेगा. याचिका में कहा गया था कि जजों के रिश्तेदारों को वरिष्ठ वकील के रूप में नामित किया जा रहा है. यह याचिका मैथ्यूज जे नेदुमपारा सहित अन्य की ओर से दायर की गई है.

मामले की सुनवाई के दौरान मैथ्यूज जे नेदुमपारा ने कहा कि बार जजों से डरता है. इसपर जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि यह कानून की अदालत है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि भाषण देने के लिए बॉम्बे का आजाद मैदान नहीं, कानूनी दलीलें दे. लगभग 3.5 साल बाद हाई कोर्ट ने 70 वकीलों को सीनियर का दर्जा दिया है.

चीफ जस्टिस मनमोहन अगले दो वरिष्ठतम न्यायधीशों, विभु बाखरु और यशवंत वर्मा, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा और वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर नंदराजोग और मोहित माथुर की एक स्थायी समिति द्वारा उम्मीदवारो का मूल्यांकन करने के बाद सीनियर का दर्जा दिया गया. समिति के सदस्य सीनियर एडवोकेट सुधीर नंदराजोग ने समिति से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने दावा किया कि अंतिम सूची उनके सहमति के बिना तैयार की गई थी.

300 से अधिक आवेदन आए

बता दें कि इसके लिए 300 से अधिक वकीलों ने आवेदन किया था, जो एक वकील की क्षमता, अदालती कौशल और कानूनी ज्ञान की मान्यता के रूप में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट्स द्वारा प्रदान किया जाता है. यह बेशकीमती पदनाम, जो वकीलों को अपनी कानूनी फीस में भारी वृद्धि करने की अनुमति देता है. स्थायी समिति ने हफ्तों के साक्षात्कार के बाद 70 वकीलों को प्रदान किया गया. अंत मे एक पूर्ण अदालत की बैठक में समापन हुआ. जिसमें शॉर्टलिस्ट किए गए प्रत्येक उम्मीदवार का स्वतंत्र और स्पष्ट विश्लेषण देखा गया.

-भारत एक्सप्रेस



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